रमजान माह के एंगल के बाद भी इस बार मुसलमान गुमराह नहीं हो रहे। यह देश के एक सकारात्मक पक्ष है।
देश के आम मुसलमान के अब यह समझ में आ गया है कि संशोधित नागरिकता कानून से कोई नुकसान नहीं होगा। यही वजह है कि नेताओं के भड़काने के बाद भी इस बार देश में आमतौर पर किसी भी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में विरोध नहीं है। जबकि कुछ मुस्लिम नेताओं ने इस कानून को पवित्र रमजान माह से भी जोड़ दिया था। लेकिन इसके बाद भी देश का आम मुसलमान गुमराह नहीं हुआ। सब जानते हैं कि केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर 11 मार्च को सीएए को लागू किया, तब पहले कहा गया कि लोकसभा चुनाव में फायदा लेने के लिए मोदी सरकार ने यह निर्णय लिया है। पश्चिम बंगाल और केरल के मुख्यमंत्रियों ने भड़काने वाले बयान भी दिए, लेकिन जब ऐसे बयानों से भी मुसलमान गुमराह नहीं हुए तो रमजान माह का एंगल जोड़ दिया गया। कहा गया कि विरोध न हो, इसलिए रमजान शुरू होने से दो दिन पहले सीएए को लागू करने की घोषणा की गई। असल में अब देश के आम मुसलमान के यह समझ में आ गया है कि इस कानून से कोई नुकसान नहीं होगा। यह कानून किसी मुसलमान की नागरिकता छीनने वाला नहीं है। यहां तक कि जिन बांग्लादेशी घुसपैठियों ने भारत की नागरिकता ले ली है, उन पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा। यह कानून मुस्लिम देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धर्म के आधार पर प्रताड़ित होकर आए हिंदू, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता देने वाला है। जब इस कानून में किसी की भी नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है, तब विरोध की कोई गुंजाइश नहीं रहती। ममता बनर्जी, पिनराई वियन और असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं को यह समझना चाहिए कि जब देश का विभाजन हो रहा था, तब पाकिस्तान में हिंदू, सिक्ख और ईसाई समुदाय की आबादी 23 प्रतिशत थी। आज पाकिस्तान में मात्र 3 प्रतिशत हिंदू रह गए हैं। इसके विपरीत भारत में आज 25 करोड़ से ज्यादा मुसलमान है। देश के दस राज्यों में तो हिंदू अल्पसंख्यक हो गए हैं। इससे पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं और भारत में रहने वाले मुसलमानों के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। चूंकि पाकिस्तान में धर्म के आधार पर हिंदुओं को प्रताड़ित किया गया, इसलिए हिंदू समुदाय के लोग भारत में आ गए। ऐसे लोगों को भारत की नागरिकता मिलनी ही चाहिए। चूंकि भारत में धर्म के आधार पर किसी को भी प्रताड़ित नहीं किया जाता है, इसलिए मुसलमानों की आबादी भी लगातार बढ़ रही है। आज भारत में इतनी खुशहाली है कि कोई भी मुसलमान पाकिस्तान या अन्य किसी मुस्लिम देश में जाना नहीं चाहता। मीडिया रिपोर्ट भी बताती है कि दुनिया के मुस्लिम देशों में भी ज्यादा शांति और समृद्धि के साथ मुसलमान भारत में रह रहे हैँ। जहां तक हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं का सवाल है तो लाखों हिंदू दरगाहों में जाकर मुस्लिम परंपराओं का निर्वाह करते हैं। ममता बनर्जी, पिनराई विजयन और ओवैसी जैसे नेताओं को यह समझना चाहिए कि मुसलमानों को भड़काने से देश का नुकसान होगा। आज भारत तेजी से विकास कर रहा है और दुनिया की तीसरी आर्थिक ताकत बनने की ओर अग्रसर है। भारत का युवा दुनिया भर में अपनी दक्षता प्रदर्शित कर रहा है। ऐसे में सभी को देश को मजबूत बनाने की जरूरत है। हिंदू और मुसलमान को आपस में लड़ाकर पूर्व में देश का बहुत नुकसान किया गया है। अब जब देश की समृद्धि का लाभ मुसलमानों को भी मिल रहा है, तब झगडऩे की बात नहीं होनी चाहिए।
देश के आम मुसलमान के अब यह समझ में आ गया है कि संशोधित नागरिकता कानून से कोई नुकसान नहीं होगा। यही वजह है कि नेताओं के भड़काने के बाद भी इस बार देश में आमतौर पर किसी भी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में विरोध नहीं है। जबकि कुछ मुस्लिम नेताओं ने इस कानून को पवित्र रमजान माह से भी जोड़ दिया था। लेकिन इसके बाद भी देश का आम मुसलमान गुमराह नहीं हुआ। सब जानते हैं कि केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर 11 मार्च को सीएए को लागू किया, तब पहले कहा गया कि लोकसभा चुनाव में फायदा लेने के लिए मोदी सरकार ने यह निर्णय लिया है। पश्चिम बंगाल और केरल के मुख्यमंत्रियों ने भड़काने वाले बयान भी दिए, लेकिन जब ऐसे बयानों से भी मुसलमान गुमराह नहीं हुए तो रमजान माह का एंगल जोड़ दिया गया। कहा गया कि विरोध न हो, इसलिए रमजान शुरू होने से दो दिन पहले सीएए को लागू करने की घोषणा की गई। असल में अब देश के आम मुसलमान के यह समझ में आ गया है कि इस कानून से कोई नुकसान नहीं होगा। यह कानून किसी मुसलमान की नागरिकता छीनने वाला नहीं है। यहां तक कि जिन बांग्लादेशी घुसपैठियों ने भारत की नागरिकता ले ली है, उन पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा। यह कानून मुस्लिम देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धर्म के आधार पर प्रताड़ित होकर आए हिंदू, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता देने वाला है। जब इस कानून में किसी की भी नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है, तब विरोध की कोई गुंजाइश नहीं रहती। ममता बनर्जी, पिनराई वियन और असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं को यह समझना चाहिए कि जब देश का विभाजन हो रहा था, तब पाकिस्तान में हिंदू, सिक्ख और ईसाई समुदाय की आबादी 23 प्रतिशत थी। आज पाकिस्तान में मात्र 3 प्रतिशत हिंदू रह गए हैं। इसके विपरीत भारत में आज 25 करोड़ से ज्यादा मुसलमान है। देश के दस राज्यों में तो हिंदू अल्पसंख्यक हो गए हैं। इससे पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं और भारत में रहने वाले मुसलमानों के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। चूंकि पाकिस्तान में धर्म के आधार पर हिंदुओं को प्रताड़ित किया गया, इसलिए हिंदू समुदाय के लोग भारत में आ गए। ऐसे लोगों को भारत की नागरिकता मिलनी ही चाहिए। चूंकि भारत में धर्म के आधार पर किसी को भी प्रताड़ित नहीं किया जाता है, इसलिए मुसलमानों की आबादी भी लगातार बढ़ रही है। आज भारत में इतनी खुशहाली है कि कोई भी मुसलमान पाकिस्तान या अन्य किसी मुस्लिम देश में जाना नहीं चाहता। मीडिया रिपोर्ट भी बताती है कि दुनिया के मुस्लिम देशों में भी ज्यादा शांति और समृद्धि के साथ मुसलमान भारत में रह रहे हैँ। जहां तक हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं का सवाल है तो लाखों हिंदू दरगाहों में जाकर मुस्लिम परंपराओं का निर्वाह करते हैं। ममता बनर्जी, पिनराई विजयन और ओवैसी जैसे नेताओं को यह समझना चाहिए कि मुसलमानों को भड़काने से देश का नुकसान होगा। आज भारत तेजी से विकास कर रहा है और दुनिया की तीसरी आर्थिक ताकत बनने की ओर अग्रसर है। भारत का युवा दुनिया भर में अपनी दक्षता प्रदर्शित कर रहा है। ऐसे में सभी को देश को मजबूत बनाने की जरूरत है। हिंदू और मुसलमान को आपस में लड़ाकर पूर्व में देश का बहुत नुकसान किया गया है। अब जब देश की समृद्धि का लाभ मुसलमानों को भी मिल रहा है, तब झगडऩे की बात नहीं होनी चाहिए। S.P.MITTAL BLOGGER (14-03-2024)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511S.P.MITTAL BLOGGER (14-03-2024)
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