अजमेर के भाजपा विधायकों की एकजुटता ने दिलाया भागीरथ चौधरी को टिकट। उपेक्षा वाले वायरल पत्र से पूर्व विधायक सुरेश टाक का इंकार। डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने कांग्रेस की लाज बचाई।
अजमेर संसदीय क्षेत्र से भाजपा ने लगातार दूसरी बार मौजूदा सांसद भागीरथ चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। चौधरी को उम्मीदवार तब बनाया गया जब वे हाल ही में किशनगढ़ से विधानसभा का चुनाव हार गए। तब यह मना गया कि अब चौधरी को टिकट नहीं मिलेगा, इसलिए भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और कांग्रेस से भाजपा में आए पूर्व मंत्री लालचंद कटारिया के नाम भी अजमेर से चर्चा में आ गए। बाहरी नेताओं की आवक को देखते हुए अजमेर संसदीय क्षेत्र के सभी सातों विधायक एकजुट हो गए। विधायकों का मानना रहा कि बाहरी नेता के बजाए तो भागीरथ चौधरी ही सही है। चौधरी ने गत पांच सालों में किसी भी विधायक के क्षेत्र में दखलंदाजी नहीं की। अपने व्यवहार से इन विधायकों को खुश रखा। विधायकों के हर समारोह में उपस्थिति दर्ज करवाई। अजमेर संसदीय क्षेत्र में 8 में से 7 भाजपा के विधायक हे। इनमें विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा, कैबिनेट मंत्री सुरेश रावत, पांच बार की विधायक श्रीमती अनिता भदेल, दो बार के विधायक रामस्वरूप लांबा और पहली बार विधायक बने वीरेंद्र सिंह कानावत भी भागीरथ चौधरी के समर्थन में खड़े नजर आए। इन विधायकों ने जो एकजुटता दिखाई उसी का परिणाम रहा कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी चौधरी को उम्मीदवार बना दिया गया। चौधरी ने पिछली बार चार लाख मतों से चुनाव जीता था और इस बार भी लोकसभा चुनाव में भागीरथ चौधरी को दोबारा से उम्मीदवार बनवाने में राजस्थान धरोहर संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष और अजमेर की राजनीति में दखल रखने वाले ओंकार सिंह लखावत की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। चौधरी उन सांसदों में शामिल है, जिनकी संसद सौ प्रतिशत उपस्थिति रही है। चौधरी हमेशा मजबूती के साथ पार्टी के साथ खड़े। मौजूदा समय में चौधरी भाजपा के किसान मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष है। चौधरी का जिले के जाट मतदाताओं में अच्छा प्रभाव है।
वायरल पत्र से इंकार:
हाल ही में भाजपा में शामिल हुए पूर्व विधायक सुरेश टाक ने उस वायरल पत्र से इंकार किया है जो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी को लिखा है। इस पत्र में टाक ने भाजपा में अपनी उपेक्षा का आरोप लगाया है। टाक ने कहा कि सोशल मीडिया में यह पत्र उनकी छवि खराब करने के लिए वायरल किया गया। उन्होंने कहा कि जब वे भाजपा में शामिल हो गए हैं तो भाजपा में ही रहेंगे। उन्होंने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया है। उन्हें हाल ही के विधानसभा चुनाव में किशनगढ़ से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर 80 हजार मत मिले है। मेरा सम्मान होगा तो 80 हजार मतदाताओं का सम्मान माना जाएगा। टाक ने कहा कि भाजपा के प्रदेश नेता जो निर्देश देंगे उसके अनुसार काम करुंगा। मैं पहले भी भाजपा का कार्यकर्ता था और आज भी हूं।
कांग्रेस की लाज बची:
कांग्रेस ने अजमेर से डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी को उम्मीदवार घोषित किया है। चौधरी ने उम्मीदवार बनकर कांग्रेस की लाज बचाई है। पिछली बार जिन रिजु झुनझुनवाला ने कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा वे इस बार चुनाव से पहले ही भाजपा में शामिल हो गए। पूर्व मंत्री रघु शर्मा जैसे नेताओं ने भी चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। ऐसे में रामचंद्र चौधरी ने चुनाव लड़ने की हिम्मत दिखाई है। चौधरी पिछले 25 वर्षो से अजमेर डेयरी के अध्यक्ष है और पूरे संसदीय क्षेत्र में गांव ढाणी तक में चौधरी की पहचान है। लाखों दुग्ध उत्पादक सीधे तौर पर डेयरी से जुड़े हुए हैं। चौधरी ने दुग्ध पालकों को आर्थिक संबल देने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ी। आम पशु पालक भी मानता है कि चौधरी ने डेयरी विकास के लिए बहुत काम किया है। चौधरी को उम्मीद है कि अजमेर में उन्होंने डेयरी कारोबार का जो सशक्तिकरण किया है उसका फायदा लोकसभा चुनाव में मिलेगा। अजमेर संसदीय क्षेत्र में अब भाजपा और कांग्रेस दोनों के उम्मीदवार जाट समुदाय के हो गए हैं। संसदीय क्षेत्र में जाट मतदाताओं की संख्या निर्णायक है। मौजूदा समय में कांग्रेस का सिर्फ एक विधायक है, सात विधायक भाजपा के है। शुरू में किशनगढ़ के कांग्रेस विधायक विकास चौधरी के चुनाव लड़ने की चर्चा थी, लेकिन भागीरथ चौधरी को भाजपा का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद विकास चौधरी पीछे हट गए। अजमेर में अब भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला होगा।
S.P.MITTAL BLOGGER (26-03-2024)
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