क्या राजनीतिक नियुक्तियां बंद हो जाने मात्र से राजस्थान लोक सेवा आयोग ईमानदार हो जाएगा? आयोग के तीन पूर्व अध्यक्षों और पांच सदस्यों ने पैसा लेकर आरएएस, आरपीएस और अन्य पदों की नौकरियां दी-मंत्री किरोड़ी लाल मीणा।
कृषि और आपदा प्रबंधन मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि तीन पूर्व अध्यक्षों और पांच सदस्यों ने पैसा लेकर आरएएस, आरपीएस और अन्य पदों की नौकरियां दी है। राजस्थान लोक सेवा आयोग के ऐसे अध्यक्षों और सदस्यों के खिलाफ उन्होंने एसओजी को सबूत भी दिए हैं। मीणा ने कहा कि आयोग में रिश्वत खोरी इसलिए होती है कि सरकार राजनीतिक नजरिए से सदस्यों की नियुक्तियां करती है। मौजूदा भाजपा की सरकार इस बात का परीक्षण करवा रही है कि आयोग में राजनीतिक नियुक्तियां किस प्रकार रुक सकती है। सवाल उठता है कि क्या राजनीतिक नियुक्तियां बंद हो जाने मात्र से आयोग ईमानदार हो जाएगा? आयोग में आईएएस, आईपीएस और अन्य क्षेत्रों के व्यक्तियों को भी अध्यक्ष और सदस्य के तौर पर नियुक्तियां हुई है, लेकिन देखा गया है कि बेईमानी करने के आरोप ऐसे व्यक्तियों पर ज्यादा लगे हैं। ताजा उदाहरण बाबूलाल कटारा का है। कांग्रेस शासन में नियुक्त प्रशासनिक सेवा के अधिकारी कटारा ने तो लाखों रुपया लेकर सैकंड ग्रेड टीचर की परीक्षा के प्रश्न पत्र ही बेच दिए। सवाल अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति का नहीं है, सवाल आयोग में गोपनीयता और पारदर्शिता का है। जब आयोग के नियमों को तोड़कर परीक्षा करवाई जाएगी तो फिर सदस्यों को प्रश्न पत्र बेचने का अवसर मिल जाएगा। जांच एजेंसियों ने भी माना है कि खामियों का फायदा उठाकर ही आयोग के सदस्य प्रश्न पत्रों को अपने घर ले गए। यदि आयोग की परीक्षा प्रणाली मजबूत हो तो फिर ईमानदारी के साथ परीक्षा हो सकती है। मौजूदा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा माने या नहीं, लेकिन प्रदेश भर के युवाओं का भरोसा आयोग पर नही ंहै। युवाओं का मानना है कि या तो एप्रोच या फिर रिश्वत देकर नौकरी प्राप्त की जा सकती हे। सीएम शर्मा के सामने आयोग की इमेज सुधारने की बड़ी चुनौती है। आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के साथ साथ परीक्षा प्रणाली को भी साउंड प्रूफ बनाने की जरूरत है। आयोग में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से आज प्रदेश का युवा निराश और हताश है। अच्छा हो कि सभी परीक्षाओं पर रोक लगाकर आयोग के मौजूदा सदस्यों को हटाया जाए। इसके लिए सदस्यों से इस्तीफे लिए जाए। जिस तरह आयोग की बदनामी हो रही है, उसमें मौजूदा सदस्यों को स्वत: ही इस्तीफे दे देने चाहिए। आयोग में सदस्य होना कोई मायने नहीं रखता। आयोग की ईमानदार छवि होना ज्यादा महत्वपूर्ण है। अब जब सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ही आयोग पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा रहे है, तब युवाओं की हताशा और निराशा का अंदाजा लगाया जा सकता है।
S.P.MITTAL BLOGGER (15-09-2024)
Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511