किसान आंदोलन के हंगामे के बीच दिल्ली में इजरायली दूतावास के बाहार आतंकी विस्फोट होना बहुत खतरनाक है। भारत तो पहले ही पाकिस्तानी आतंकवाद से परेशान है। इज़राइल की जवाबी कार्यवाही भारत के लिए नुक़सानदेह होगी।

30 जनवरी को पता चला कि 29 जनवरी को दिल्ली में इजरायली दूतावास के बाहर जो विस्फोट हुआ, उसमें ईरान के चरमपंथियों का हाथ है जो इज़राइल को सबक सिखाना चाहते हैं। चरमपंथियों की ओर से कहा गया कि यह तो ट्रेलर है। यानि भारत में इज़राइल के विरुद्ध बड़ी कार्यवाही भी हो सकती है। दिल्ली में अपने दूतावास के बाहर हुए विस्फोट को इज़राइल ने बहुत गंभीरता से लिया है और अब इज़राइल की विश्व विख्यात खुफिया एजेंसी मोसाद के अधिकारी दिल्ली आकर जांच पड़ताल करेंगे। दुनिया जानती है कि इज़राइल अपने दुश्मनों को कभी नहीं बख्शता है। मौका देखते ही दुश्मन को धराशायी करता है। ईरान में इजरायल के प्रति इसलिए भी गुस्सा है कि ईरान के एक जनरल और एक वैज्ञानिक को मारा गया। इज़राइल और ईरान लड़ सकते हैं, लेकिन इसके लिए भारत अखाड़ा नहीं बन सकता। भारत तो पहले ही पाकिस्तानी आतंकवाद से परेशान है। अब यदि ईरान के चरमपंथी सक्रिय होते हैं तो भारत के लिए सहन करना मुश्किल होगा। असल में भारत की आतंरिक परिस्थितियां ऐसी नहीं है जिसमें इज़राइल अपने दुश्मनों से बदला ले सके। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के पास इस बात के इनपुट हैं कि स्लीपर सेल की वजह से ही पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजेंसी आईएसआई भारत में आतंकी गतिविधियाँ करवाती है। पाकिस्तान में बैठे चरमपंथी नेता खुलेआम भारत के विरुद्ध जहर उगलते हैं। भारत के लोकतंत्र में इसे वोटों का समीकरण ही कहा जाएगा कि अनेक राजनेता पाकिस्तान के समर्थन में खड़े हो जाते हैं। ईरान के चरमपंथियों ने 28 जनवरी को दिल्ली में तब विस्फोट किया है, जब किसान आंदोलन हंगाम हो रहा है। 26 जनवरी को ही गणतंत्र दिवस पर दिल्ली को हिंसा की आग में झोंक दिया। अराजक तत्वों ने किसान आंदोलन की आड़ में 400 पुलिस वालों को जख्मी कर ऐतिहासिक लालकिले की प्राचीर पर तिरंगे के पास दूसरा झंडा भी लगा दिया। इसके लिए अराजकतत्व पुलिस को रौंदते हुए लाल किले तक पहुंचे। दिल्ली पुलिस जब किसान आंदोलन से निपटने में लगी हुई है, तब ईरान के चरमपंथियों ने इजरायली दूतावास के बाहर विस्फोट किया है। अब यदि इज़राइल की ओर से जवाबी कार्यवाही होती है तो फिर इसका ख़ामियाज़ा भारत को ही भुगतना पड़ेगा। इज़राइल को चाहिए कि इस मामले में संयम दिखाए और भारत की आतंरिक परिस्थितियों को समझे। यह माना कि भारत और इज़राइल के संबंध बहुत अच्छे हैं, लेकिन भारत, इज़राइल और ईरान के बीच लड़ाई का अखाड़ा नहीं बन सकता है। भारत के संबंध ईरान से भी अच्छे हैं, इसलिए ईरान को भी भारत की परिस्थितियों का ख्याल रखना चाहिए। भारत इज़राइल की तरह सख्त रवैया अपनाने की स्थिति में नहीं है। S.P.MITTAL BLOGGER (30-01-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9509707595To Contact- 9829071511

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