जब नए वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर सकता है तो फिर समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को संविधान से हटाने पर सुनवाई क्यों नहीं? कांग्रेस तो अब सीजेआई बीआर गवई के खिलाफ भी हो जाएगी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने जब से संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द को हटाने का विचार रखा है, तब से देश में राजनीति का माहौल गर्म है। अब देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी इन दोनों शब्दों की तुलना नासूर जैसे रोग से कर दी है। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल इस विचार को संविधान को कुचलने की भावना से कर रहे हैं। लेकिन भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था है। लोकतंत्र में जनता जो चाहती है, वह होता है। सब जानते हैं कि कांग्रेस ने 1975 में जब आपातकाल लगाया तब धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी जोड़े गए। ऐसा नहीं कि संविधान में जोड़े गए शब्दों की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती। कांग्रेस ने तो आपातकाल लगाकर धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द जबरन शामिल किए, जबकि मौजूदा मोदी सरकार ने तो संसदीय परंपराओं का पालन करते हुए संसद में नया वक्फ कानून बनाया। फिर भी सुप्रीम कोर्ट में इस नए कानून पर सुनवाई हो रही है। जब नए वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो सकती है, तो फिर समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द संविधान की प्रस्तावना से हटाने पर भी सुनवाई की जानी चाहिए। अच्छा हो कि इस नासूर को जल्द से जल्द जड़ से समाप्त किया जाए। 

कांग्रेस अब सीजेआई के खिलाफ भी:
भारत के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने 28 जून को महाराष्ट्र के नागपुर में संविधान प्रस्तावना पार्क के उद्घाटन समारोह में कहा कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को लगाना संविधान निर्माता डॉ. बीआर अंबेडकर की भावनाओं के खिलाफ था। अंबेडकर ने तो एक संविधान और अखंड भारत की कल्पना कर संविधान तैयार किया। सीजेआई गवाई का यह कथन इसलिए महत्वपूर्ण है कि अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद जो याचिकाएं दायर की गई, उनकी सुनवाई के लिए बनी पांच सदस्यीय संविधान पीठ में एक सदस्य गवाई भी थे। गवई ने भी तब माना कि अनुच्छेद 370 को हटाकर केंद्र सरकार ने सही फैसला किया है। अब जब सीजेआई बनने के बाद भी गवई ने अपने विचारों को सार्वजनिक किया है तो कांग्रेस के नेताओं को अच्छा नहीं लगेगा। कांग्रेस तो अनुच्छेद 370 की समर्थक रही है। लेकिन चीफ जस्टिस ने बता दिया है कि 370 संविधान निर्माता बीआर अंबेडकर की भावनाओं के खिलाफ थी। देखना होगा कि गवई के ताजा विचारों पर कांग्रेस के नेताओं की क्या प्रतिक्रिया आती है। यहां यह उल्लेखनीय है कि बीआर गवई दलित वर्ग से आते हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (29-06-2025)
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