आखिर फरीदाबाद में किसके संरक्षण में चल रही थी आतंक की अल-फलाह यूनिवर्सिटी।

10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के बाहर हुए आतंकी विस्फोट में सुरक्षा एजेंसियों को अब तक जो जानकारियां मिली है, उनमें हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह मेडिकल यूनिवर्सिटी की प्रमुख भूमिका रही है। यानी इसी यूनिवर्सिटी में देश में आतंकी वारदातें करने की साजिश रची गई। यूनिवर्सिटी के पास से ही 29 क्विंटल विस्फोटक बरामद किया गया। यूनिवर्सिटी में कार्यरत डॉक्टर ही आतंक फैलाने का काम कर रहे थे। इस यूनिवर्सिटी का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि फरीदाबाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में आता है। सवाल उठता है कि आखिर यह यूनिवर्सिटी किसके सरंक्षण में चल रही थी? कोई भी शिक्षण संस्थान बिना राजनीतिक संरक्षण के नहीं चल सकता। एक अच्छा स्कूल खोलने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कम से कम 10 करोड़ रुपए चाहिए। कॉलेज खोलने के लिए 50 करोड़ और यूनिवर्सिटी चलाने के लिए कम से कम 100 करोड़ रुपए। इसके अलावा राज्य और केंद्र सरकार से मान्यता देने के लिए ऊंची एप्रोच चाहिए। यूनिवर्सिटी की मान्यता तो बहुत मुश्किल से मिलती है। जानकारी के मुताबिक वर्ष 2015 में अलफला यूनिवर्सिटी को मान्यता मिली, यह जांच का विषय है कि यूनिवर्सिटी को मन्यता दिलवाने में किन लोगों का राजनीतिक संरक्षण रहा। आरोप है कि यूनिवर्सिटी के मालिकों पर फर्जीवाड़ा करने के आरोप भी लगे हैं। एनसीआर में आतंक की यह यूनिवर्सिटी पिछले दस वर्षों से चल रही थी और हरियाणा पुलिस को खबर तक नहीं लगी। सवाल उठता है कि जब यूनिवर्सिटी के डॉक्टर ही जैश-ए- मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के संपर्क में थे, तब पुलिस को जानकारी क्यों नहीं लगी? हालांकि अब सुरक्षा एजेंसियों ने संभावित आतंकी साजिशों का भंडाफोड़ कर दिया है, लेकिन अभी तक भी  अल-फलाह  यूनिवर्सिटी के बारे में अधिक जानकारी उजागर नहीं की गई है। मीडिया भी इस यूनिवर्सिटी के बारे में खामोश है। सुरक्षा एजेंसियों को यह पता लगाना चाहिए कि आतंक की इस यूनिवर्सिटी को कम समय में किस प्रकार सभी प्रकार की मान्यताएं मिल गई। साथ ही यूनिवर्सिटी के मालिकों की आय के स्त्रोतों का भी पता लगना चाहिए। इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि जिस संस्था का काम शिक्षा को बढ़ावा देना है, वह संस्था आतंक की फैक्ट्री के रूप में काम कर रही है। हरियाणा और केंद्र की भाजपा सरकारों को भी चाहिए कि वह अलफला यूनिवर्सिटी की मान्यता को रद्द करे। 

S.P.MITTAL BLOGGER (13-11-2025)
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