कोर्ट लिपिक भर्ती घोटाले में आरोपी के तौर पर अदालत में उपस्थित हुए कांग्रेस नेता और बीड़ी उद्योगपति हेमंत भाटी। एसीबी ने लगाए हैं संगीन आरोप।
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कोर्ट लिपिक भर्ती घोटाले में आरोपी के तौर पर अदालत में उपस्थित हुए कांग्रेस नेता और बीड़ी उद्योगपति हेमंत भाटी। एसीबी ने लगाए हैं संगीन आरोप।
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अजमेर के बहुचर्चित कोर्ट लिपिक भर्ती घोटाले के मुकदमे में 15 दिसम्बर को कांग्रेस के नेता और बीड़ी उद्योगपति हेमंत भाटी भी आरोपी की तरह अदालत में उपस्थित हुए। 15 दिसम्बर को एसीबी की विशेष अदालत में हेमंत भाटी और अन्यों पर लगे आरोपों पर बहस होनी थी। लेकिन अभियोजन विभाग के सहायक निदेशक के अवकाश पर होने के कारण बहस नहीं हो सकी। अब इस मामले में 8 फरवरी 2017 को सुनवाई होनी है। 15 दिसम्बर को आरोपी हेमंत भाटी के साथ-साथ अजमेर के तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश अजय शारदा, हेमराज कानावत, राजेश शर्मा आदि भी उपस्थित हुए।
यह है आरोप:
कोर्ट लिपिक भर्ती घोटाले में एसीबी ने अदालत में एक से अधिक चार्जशीट पेश की है। जब एसीबी लिपिक भर्ती घोटाले की जांच कर रही थी, तभी यह बात भी सामने आई कि ऐसे अनेक व्यक्ति सक्रिय हैं जो डीजे अजय शारदा के माध्यम से न्यायिक कार्य प्रभावित करवाते हैं। हेमराज कानावत और ऐसे ही व्यक्ति पक्षकारों और डीजे शारदा के बीच माध्यस्थता की भूमिका निभाते हैं। एसीबी जब हेमराज कानावत, विकास शर्मा आदि के मोबाइल टेप कर रही थी, तभी यह पता चला कि हेमंत भाटी के मोबाइल नम्बर 9829071816 से 29 बार मध्यस्था से वार्ता हुई है। इसी से यह भी पता चला कि हेमंत भाटी का अपने भाई ललित भाटी के साथ जो आपराधिक प्रकरण चल रहा है, उसे हेमंत भाटी अपने पक्ष में करवाना चाहते हैं। एसीबी ने अपनी चार्जशीट में यह माना है कि हेमंत भाटी अपने प्रकरण में विकास व हेमराज के माध्यम से अजय कुमार शारदा से अपने पक्ष में करवाने के आपराधिक संलिप्त होना पाए जाते हैं। इतना ही नहीं, जब जब भी हेमंत भाटी और ललित भाटी के बीच चलने वाले मुकदमे की सुनवाई हुई तब-तब हेमराज कानावत ने अजय शारदा से मुलाकात की। इसलिए एसीबी ने धारा 7,8,9,10,12,13(1)(ए)(डी), 13(2) एवं 14 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 तथा धारा 120बी, 109आईपीसी का दोषी माना है। इस प्रकरण में हेमंत भाटी ने अग्रीम जमानत करवा रखी है।
जप्त नोटो की एफडी के लिए प्रार्थना पत्र:
15 दिसम्बर को एसीबी के जांच अधिकारी डीएसपी मंगलाराम ने अदालत में एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। इस प्रार्थना पत्र में कहा गया कि जांच के दौरान 17 लाख रुपए जप्त किए गए थे। यह राशि आज भी एसीबी के माल खाने में सुरक्षित हैं। लेकिन सरकार द्वारा 1000 एवं 500 रुपए के नोटबंद कर दिए गए हैं, इसलिए पुराने जप्त नोटों को बैंक में जमा करवा कर संबंधित अधिकारियों के नाम की एफडी करवाई जाए।
एस.पी.मित्तल) (15-12-16)
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