जब अजमेर एसपी डॉ. नितीनदीप ब्लग्गन की आंखें नम हो गई। अपना घर में देखे बेसहारा और मनोरोगी।
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आमतौर पर यह माना जाता है कि पुलिस वाले बेरहम और रूखे व्यवहार के होते हैं। उनके शरीर में मानवीय संवेदनाओं वाला दिल भी नहीं होता है, लेकिन एक जून को इसके उलट अजमेर के एसपी डॉ. नितीनदीप ब्लग्गन का व्यवहार देखने को मिला। डॉ. ब्लग्गन ने 1 जून को अजमेर के लोहागल स्थित अपना घर में रह रहे बेसहारा और मनोरोगी पुरुष व महिलाओं को देखा। हालांकि अपना घर में पर्याप्त सुविधाएं थी, लेकिन मनोरोगियों की स्थिति देखकर डॉ. ब्लग्गन की आंखें नम हो गई। ऐसी महिलाएं भी थी, जिन्हें अपने शरीर की सुध नहीं थी। दैनिक कार्यो के लिए दूसरों की मदद ली जाती है। डॉ. ब्लग्गन को इस बात का भी अफसोस रहा कि अनेक महिला और पुरुष बेसहारा होकर यहां रह रहे हैं। डॉ. ब्लग्गन की संवदेनशीनता का पता इसी से चलता है कि उन्होंने अपना घर की सहायता के लिए पूरा पर्स ही रख दिया। अपना घर की प्रबंध कमेटी के संयोजक सोमरत्न आर्य ने एसपी को बताया कि इस समय 80 महिला व पुरुष रह रहे हंै। जबकि सरकार मात्र 25 व्यक्तियों का खर्चा ही देती है। शेष व्यक्तियों का खर्च जन सहयोग से किया जाता है। इस पर डॉ. बलग्गन ने पर्स में रखे सभी नोट सहायता स्वरूप दे दिए। डॉ. ब्लग्गन के पर्स से कोई सात हजार रुपए की राशि निकली। डॉ. ब्लग्गन ने आगन्तुक रजिस्टर में अपनी भावनाएं भी व्यक्त की। इससे पहले अपना घर के अध्यक्ष विष्णु गर्ग, सचिव सतीश राठी, मीडिया प्रभारी कोसिनोक जैन आदि ने डॉ. ब्लग्गन का स्वागत किया। मालूम हो कि इस संस्था का संचालन भरतपुर की संस्था मां ब्रज माधुरी के द्वारा किया जाता है। संस्थान के कर्मचारी फुटपाथ आदि से बीमार और बेसहारा लोगों को लाते हैं। प्राथमिक इलाज तो संस्थान में ही किया जाता है। जरूरत पडऩे पर रोगियों को सरकारी अस्पताल में भी भर्ती करवाया जाता है। संस्थान के सभी लोग सेवा की भावना से काम करते हैं।
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(एस.पी. मित्तल) (01-06-2016)
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