तो नसीराबाद पुलिस ने आरोपियों से लिया शराफत का सर्टीफिकेट। चार सिक्ख सेवादारों की पिटाई का मामला। =====================

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तो नसीराबाद पुलिस ने आरोपियों से लिया शराफत का सर्टीफिकेट। चार सिक्ख सेवादारों की पिटाई का मामला।
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अजमेर जिले के नसीराबाद क्षेत्र के चाट चैनपुरा में चार सिक्ख सेवादारों की बेरहमी से पिटाई के मामले में 2 जून को जयपुर स्थित राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जसबीर सिंह के समक्ष सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान नसीराबाद सदर थाने के इंस्पेक्टर लक्ष्मणराम चौधरी भी उपस्थित रहे। पुलिस को अपनी सफाई में कुछ कहना ही नहीं पड़ा, क्योंकि चारों पीडि़तों को पुलिस अपने समर्थन में तैयार करके लाई थी। 24 अप्रैल को चाट चैनपुरा गांव में पगड़ी खुलवाने, बाल खींचने और लात-घुंसों से पीटने वाले सिक्ख सेवादारों ने कहा कि यदि पुलिस मौके पर नहीं पहुंचती तो हमारा हाल और भी बुरा होता। बुरी तरह पीटने के बाद भी शांतिभंग के आरोप में गिरफ्तार हुए सेवादारों ने आयोग के अध्यक्ष के सामने हाथ जोड़कर कहा कि नसीराबाद की पुलिस बहुत शरीफ है। सारा कसूर तो हमारा ही था इसलिए हम पीटे और गिरफ्तार भी हुए। यह बात अलग है कि 24 अप्रैल वाले दिन इन्हीं सेवादारों ने सदर थाने में गिड़गिड़ाते हुए कहा था कि हम निर्दोष हैं। यानि जिस नसीराबाद पुलिस ने 24 अप्रैल को सिक्खों को आरोपी माना, उसी पुलिस ने 2 जून को इन्हीं आरोपियों से अपने शरीफ होने का सर्टीफिकेट भी लिया। जो नसीराबाद पुलिस अल्पसंख्यक आयोग के सामने स्वयं को बेकसूर और शरीफ साबित करने में लगी हुई है उसके पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी उसे एक माह बाद दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही क्यों करनी पड़ी? सब जानते है कि जब सेवादारों की पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो केन्द्र सरकार के निर्देश पर राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने अजमेर पुलिस को नोटिस जारी किया। इसके बाद 26 मई को नसीराबाद पुलिस ने चाट चैनपुरा गांव के सरपंच सहित 6 लोगों को सेवादारों की पिटाई करने के आरोप में गिरफ्तार किया। यानि 24 अप्रैल को पुलिस की नजर में सिक्ख सेवादार अपराधी थे तो एक माह बाद 26 मई को गांव वाले अपराधी हो गए। यानि एक माह में ही अपराध की परिभाषा बदल गई। ऐसा कारनामा अजमेर जिले की नसीराबाद पुलिस ही कर सकती है। इसे भी पुलिस का कारनामा ही कहा जाएगा कि 6 ग्रामीणों की जमानत का प्रार्थना पत्र भी अदालत से खारिज हो गया है। सरपंच सहित जो 6 ग्रामीण अजमेर की सेन्ट्रल जेल में बंद पड़े है उन्हें भी पता है कि थोड़े दिनों मेंजब सिक्खों की पिटाई का मामला दब जाएगा, तब यही नसीराबाद पुलिस उन्हें भी जमानत पर बाहर ले आएगी। अब जब पीटने वाले सेवादारों ने ही शराफत का सर्टीफिकेट दे दिया है तो अल्पसंख्यक आयोग भी नसीराबाद पुलिस के खिलाफ क्या कार्यवाही कर सकता है?
एस.पी.मित्तल) (03-06-17)
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