एक प्रधानमंत्री से आखिर और क्या चाहिए। बरसात में भीगते हुए किया योग। हमारी सनातन संस्कृति का परचम पूरे विश्व में फैलाया। ==============

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किसी भी देश की सबसे बड़ी सफलता तब होती है, जब उसकी संस्कृति को दूसरे देश भी अपनाएं। इसे यू भी समझा जा सकता है कि जिस गैर अमरीकी के पास डॉलर होता है, तो वह स्वयं को गौरवांवित महसूस करता है। आज पूरी दुनिया में अमरीका का डॉलर राज कर रहा है। ऐसा ही कुछ हमारी सनातन संस्कृति से जुड़े योग का है। 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर भारत के अलावा दुनिया भर के 200 देशों में योग के कार्यक्रम हुए। अमरीकी डॉलर से दुनिया में कोई भी चीज खरीदी जा सकती है, तो भारत के योग से दुनिया का कोई भी नागरिक निरोगी रह सकता है। देखा जाए तो अमरीकी डॉलर से ज्यादा हमारे योग का महत्त्व है। व्यक्ति कितना भी धनाढ्य हो, लेकिन यदि उसे कोई रोग है तो उसका धनाढ्य होना बेकार है। हमारे शास्त्रों में लिखा भी है कि पहला सुख निरोगी काया। योग के प्रति दुनिया में जागरुकता के लिए ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21 जून को लखनऊ में बरसात में भीगते हुए भी योग किया। सुरक्षा में लगे अधिकारी अपने प्रधानमंत्री को बरसात में भीगने से बचाते हैं, लेकिन मोदी तो स्वयं बरसात में भीगे। ताकि योग का संदेश दिया जा सके। सब जानते हैं कि दो वर्ष पहले मोदी की पहल पर ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया। मोदी का प्रयास रहा कि 21 जून को तीसरे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर भारत में घर-घर योग हो। भले ही अनेक लोगों ने आज योग नहीं किया हो, लेकिन उन्हें इतना तो पता था कि आज योग दिवस है। यानि प्रधानमंत्री ने हमारी सनातन संस्कृति से जुड़े योग को घर-घर तक पहुंचाया तो विदेशों में भी जागरुकता बढ़ाई। हर भारतीय के लिए गर्व की बात है कि आज हमारी संस्कृति की ओर विदेशी भी आकर्षित हो रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और योग गुरु बाबा रामदेव द्वारा अहमदाबाद में आयोजित योग के समारोह में तीन लाख लोगों ने भाग लेकर विश्व रिकॉर्ड बनाया है।
(एस.पी.मित्तल) (21-06-17)
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