मोदीजी जीएसटी की वजह से किशनगढ़ मार्बल मंडी में अब प्रतिदिन एक लाख कप चाय भी नहीं बिक रही है। रोजाना 15 करोड़ के कारोबार की मंडी एक जुलाई से बंद पड़ी है। ==========

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मोदीजी जीएसटी की वजह से किशनगढ़ मार्बल मंडी में अब प्रतिदिन एक लाख कप चाय भी नहीं बिक रही है। रोजाना 15 करोड़ के कारोबार की मंडी एक जुलाई से बंद पड़ी है।
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हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जीएसटी में ऐसा कोई काम नहीं किया है, जिसकी वजह से देश में चाय की बिक्री कम हो। लेकिन राजस्थान की सुप्रसिद्ध किशनगढ़ स्थित मार्बल मंडी के बंद हो जाने से प्रतिदिन एक लाख कप चाय भी नहीं बिक रही है। मार्बल पत्थर पर जीएसटी में 28 प्रतिशत टैक्स लगा देने के विरोध में गत एक जुलाई से किशनगढ़ की मार्बल मंडी बंद पड़ी है। मंडी की छोटी-बड़ी कोई 2 हजार फैक्ट्रियों में 50 हजार से ज्यादा श्रमिक काम करते हैं। एक अनुमान के मुताबिक 50 हजार श्रमिकों के बीच रोजाना एक लाख कप चाय का उपयोग होता है। चूंकि अब फैक्ट्रियां बंद है और कोई मजदूर नहीं आ रहा है इसलिए एक लाख कप चाय की बिक्री भी बंद हो गई है। मार्बल मंडी में करीब 500 सौ चाय ठेले, थड़ी आदि संचालित हैं। अब ये सब भी बंद पड़े हैं। चाय के ठेले, स्टॉल, थड़ी आदि लगाने वालों ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मार्बल कारोबारियों की समस्या का समाधान करने का आग्रह किया है ताकि मार्बल मंडी में काम फिर से शुरू हो जाए। चाय बेचने वाले मेहनतकश गरीब लोगों को उम्मीद है कि हमारा ख्याल करते हुए नरेन्द्र मोदी कोई न कोई रास्ता निकालेंगे। चूंकि मोदी भी पूर्व में चाय बेचने का ही काम करते थे, इसलिए वे चाय वालों की गरीबी को अच्छी तरह जानते हैं। गत लोकसभा के चुनाव में मोदी की जीत एक कारण चाय की चौपाल भी रहा। मार्बल कारोबारियों को भी उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी कम से कम अपने चाय वालों की तो सुनेंगे ही। मार्बल मंडी के बेमियादी बंद से चाय वालों के सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है।
रोजाना 15 करोड़ का कारोबार :
किशनगढ़ की मार्बल मंडी में रोजाना एक हजार ट्रक कच्चा माल आता है और कोई 5 सौ ट्रक तैयार माल होकर देश भर में जाता है। मंडी में प्रतिदिन 15 करोड़ रुपए का कारोबार होता है। इससे 50 हजार श्रमिकों को मजदूरी तथा फैक्ट्री मालिकों को लाभ मिलता है। लेकिन अब एक जुलाई से सब कुछ बंद पड़ा है। एक अनुमान के मुताबिक पिछले एक पखवाड़े में करीब 250 करोड़ रुपए का कारोबार प्रभावित हो चुका है।
डिस्कॉम को घाटा :
मार्बल मंडी के बंद हो जाने से विद्युत निगम को भी जबरदस्त घाटा हो रहा है। मंडी में औसत एक फैक्ट्री का बिजली का बिल 6 लाख रुपए मासिक है। चूंकि अब बिजली का उपयोग ही नहीं हो रहा है इसलिए बिल की राशि भी निगम को नहीं मिलेगी। फैक्ट्री मालिकों के सामने बिल के स्थाई शुल्क जमा कराने की भी समस्या होगी। मार्बल मंडी से निगम को प्रतिमाह करीब 8 करोड़ रुपए का भुगतान प्राप्त होता है।
अपराध बढऩे की आशंका :
अब जब 50 हजार श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं तो किशनगढ़ और उसके पास क्षेत्रों में अपराध बढऩे की आशंका हो गई है। जानकार सूत्रों के अनुसार यूपी, बिहार आदि राज्यों के कोई 20 हजार श्रमिक तो किशनगढ़ छोड़कर चले गए हैं, लेकिन किशनगढ़ के आसपास के क्षेत्रों से आने वाले करीब 30 हजार श्रमिक बेरोजगार होकर इधर-उधर भटक रहे हैं। बंद पड़ी फैक्ट्रियों में छोटी-मोटी चोरियां होना तो शुरू हो चुका है।
अंधकार में भविष्य – टांक
किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश टांक ने स्वीकार किया है कि किशनगढ़ सहित राजस्थान भर में मार्बल उद्योग का भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है। भले ही एक जुलाई से राजस्थान का मार्बल कारोबार ठप पड़ा हो, लेकिन आशा की कोई किरण नजर नहीं आ रही है। मार्बल उद्योग की समस्याओं के संबंध में केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली तक से मुलाकात की जा चुकी है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है। चूंकि देश का 97 प्रतिशत मार्बल कारोबार राजस्थान में ही होता है, इसलिए उनका प्रयास है कि एक बार प्रदेश के भाजपा के सभी 25 सांसदों और राज्य सभा के सदस्यों को लेकर वित्त मंत्री जेटली से मुलाकात की जाए। प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी चाहती हैं कि मार्बल पर टैक्स में कमी हो।
एस.पी.मित्तल) (16-07-17)
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