तो बंगाल में ममता बनर्जी क्यों नहीं बना पाई दुर्गा पूजा उत्सव और मोहर्रम में सद्भावना। आखिर वामपंथियों को हराने में दुर्गा भक्तों का भी सहयोग मिला है।

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आदेश दिया है कि कोई भी दुर्गा भक्त 1 अक्टूबर को प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं करेगा और न ही कोई दुर्गा पूजा का जुलूस निकालेगा। बनर्जी ने कहा कि 1 अक्टूबर को दिन भर मोहर्रम के जुलूस निकलेंगे और ताजियों को सेरब किया जाएगा। ममता ने कहा कि उनकी सरकार नहीं चाहती कि मोहर्रम के जुलूस में शामिल और दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन में शामिल लोग आमने-सामने हों। यानि मुख्यमंत्री को इस बात का डर है कि यदि दोनों समुदायों के लोग आमने-सामने हुए तो विवाद हो सकता है। ममता ने भले ही यह आदेश किसी भी नजरिए से दिया हो, लेकिन इससे पूरे बंगाल में दुर्गा भक्तों को निराशा है। दुर्गा पूजा उत्सव से जुड़े लोगों का कहना है कि 30 सितम्बर को उत्सव समाप्त होगा और उसके बाद से ही प्रतिमाओं का विसर्जन होने लगेगा जो एक अक्टूबर की रात तक चलता रहेगा। अब चूंकि सरकार ने एक अक्टूबर को जुलूस निकालने और विसर्जन करने पर रोक लगा दी है, इसलिए 2 अक्टूबर को विसर्जन किया जाएगा। यानि नवरात्र समाप्त हो जाने के बाद भी प्रतिमाओं को उसी स्थान पर रखना पड़ेगा। सब जानते हैं कि ममता बनर्जी ने बंगाल में वर्षो पुराने वामपंथियों के किले को ढाहा कर सत्ता हांसिल की है। इतना ही नहीं ममता ने कांग्रेस को भी चुनाव में धूल चटाई आज भी बंगाल में ममता का जादू है। इस जादू में दुर्गा भक्तों की भी महत्तवपूर्ण भूमिका है। अच्छा होता कि ममता बनर्जी अपने जादू से दोनों समुदायों के लोगों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करती। दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक लगाने से ममता बनर्जी की राजनीतिक छवि पर प्रतिकूल असर पड़ा है। इससे विरोधियों को भी ममता पर हमला करने का अवसर मिल गया है।
एस.पी.मित्तल) (25-08-17)
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