उठावने की सूचना के लिए अब अखबार का एक पृष्ठ भी कम पड़ गया है। दो मई को भास्कर को दूसरा पृष्ठ भी काम में लेना पड़ा। अजमेर में सख्त लॉकडाउन के बाद भी श्मशान स्थलों पर 78 शवों को जलाना पड़ा। आखिर कब सुधरेंगे हालात।

2 मई को अजमेर में सब्जी मंडियों तक को बंद करवा दिया गया। लोगों को कोरोना वायरस से बचने के लिए प्रशासन ने सख्त लॉकडाउन लागू कर दिया है। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि 2 मई को ही उठावने की सूचना वाले विज्ञापनों के लिए दैनिक भास्कर अखबार का एक पृष्ठ कम पड़ गया है। कोरोना काल में संभवत: यह पहला अवसर होगा, जब अखबार के दो पृष्ठ उठावने के विज्ञापन छापने के लिए काम में लिए गए हैं। सब जानते हैं कि अखबार में उठावने की सूचना विज्ञापन के तौर ही प्रकाशित होती है। अजमेर में न्यूनतम साइज के विज्ञापन के लिए दैनिक भास्कर में 12 सौ रुपए का भुगतान करना पड़ता है। विज्ञापन जितना बड़ा होगा, उतने ज्यादा पैसे लगेंगे। लेकिन न्यूनतम दर 12 सौ रुपए हैं। इसलिए समर्थ परिवार भी अपने दिवंगत सदस्य के उठावने की सूचना अखबार में प्रकाशित करता है। आमतौर पर उठावने के विज्ञापन एक दिन में दो या तीन प्रकाशित होते हैं। अखबार में एक पृष्ठ पर स्थान निर्धारित होता है, जहां उठावने या श्रद्धांजलि के विज्ञापन छप जाते हैं। लेकिन 2 मई को उठावने के विज्ञापन दो पृष्ठों में प्रकाशित होने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अजमेर में कोरोना संक्रमण की स्थिति कितनी भयावह है। अब श्मशान स्थलों के बाहर ही अंतिम संस्कार में काम आने वाली सामग्री की दुकानें भी खुल गई हैं। जिला प्रशासन चिकित्सा सुविधाओं के चाहे जितने भी दावे करें, लेकिन अजमेर जिले में 30 अप्रैल और 1 मई को यानी मात्र दो दिन में विभिन्न श्मशान स्थलों पर 78 शवों का अंतिम संस्कार किया गया है। उठावने के विज्ञापन दो पृष्ठों में छपने और 78 शवों का अंतिम संस्कार होने के बाद भी चिकित्सा महकमे का कहना है कि 30 अप्रैल और 1 मई को मात्र 9 कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की मौत हुई है। जाहिर है कि सरकार मौत के आंकड़े छिपा रही है। निर्दयी लोगों को शवों से निकलती अग्नि और परिवार के सदस्यों की आंखों से टपकते आसूं भी नजर नहीं आ रहे हैं। सरकार माने या नहीं लेकिन परिवार के सदस्यों का कहना है कि मृत्यु का का कारण कोरोना ही है। परिजनों को इस बात का अफसोस हैं कि अस्पताल में पर्याप्त चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाई। कई पिताओं के हाथ में जवान बेटे का दम निकल गया तो कई बेटों के हाथ बुजुर्ग माता-पिता ने दम तोड़ दिया। अस्पतालों में भर्ती होना मुश्किल है तो भर्ती होने के बाद ऑक्सीजन का अभाव झेलना पड़ रहा है। हालात बहुत भयावह हो गए हैं। लॉकडाउन में लोग अपने घरों पर ही है, लेकिन संक्रमण कम नहीं हो रहा। S.P.MITTAL BLOGGER (02-05-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511

Print Friendly, PDF & Email

You may also like...