राजस्थान के पांच निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी पर हाईकोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए। केन्द्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए भाजपा के सांसद और विधायक पहल करें। 29 अप्रैल से ऑक्सीजन की आधी सप्लाई। अजमेर के मित्तल अस्पताल में तो 24 घंटे का ऑक्सीजन बचा है। क्षेत्रपाल अस्पताल में बढ़ेंगे बेड। निजी अस्पताल ऑक्सीजन का संतुलित उपयोग करें-कलेक्टर राजपुरोहित।

दिल्ली के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में ऑक्सीजन की सप्लाई को सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी कर दिए हैं। आदेश की क्रियान्विति के लिए केन्द्र सरकार को पाबंद किया गया, अब यदि दिल्ली के अस्पतालों में मांग के अनुरूप ऑक्सीजन नहीं मिली तो अवमानना की कार्यवाही होगी। यह आदेश उन मरीजों के लिए राहत भरा है, जो अस्पतालों के बाहर और अंदर ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। कमोबेश यही स्थिति राजस्थान के सरकारी और निजी अस्पतालों की है। लेकिन जयपुर के महात्मा गांधी, संतोकबा दुर्लभजी, नारायण अस्पताल व भगवान महावीर अस्पताल और अजमेर के पुष्कर रोड स्थित मित्तल अस्पताल को तो दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। इधर जिला प्रशासन ने अस्पतालों को 50 प्रतिशत मरीज कोविड के रखने के निर्देश दिए हैं, उधर इन अस्पतालों को मांग के अनुरूप ऑक्सीजन नहीं मिल रही है। 29 अप्रैल के पहले तक ये पांचों अस्पताल एयर लिक्विड नॉर्थ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से टैंकरों के जरिए ऑक्सीजन प्राप्त कर रहे थे, लेकिन केन्द्र सरकार के नियंत्रण के बाद फर्म ने इस अस्पतालों को ऑक्सीजन की सप्लाई आधी कर दी। पहले जहां 30 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिल रही थी, वहां अब मात्र 15 मीट्रिक टन ही मिल रही हैं। चूंकि ये अस्पताल सीधे प्राइवेट फर्म से ऑक्सीजन खरीद रहे थे, इसलिए जिला प्रशासन ने भी इन अस्पतालों से ऑक्सीजन सिलेंडर वाली सूची में शामिल नहीं किया। अब इन अस्पतालों को न तो जिला प्रशासन से ऑक्सीजन मिल रही है और दूसरी तरफ संबंधित फर्म ने सप्लाई आधी कर दी है। ऐसी स्थिति में मरीजों को परेशानी हो रही है। इन अस्पतालों ने अब मरीजों की भर्ती पर भी रोक लगा दी है। इन अस्पतालों में भर्ती पर रोक लगाने से सरकारी अस्पतालों में मरीजों का दबाव बढ़ गया है। ऑक्सीजन के अभाव में मरीज की मौत की आशंका के डर से अस्पताल प्रबंधन मरीजों की भर्ती ही नहीं कर रहा है। एक और राज्य सरकार सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को कोविड अस्पताल में तब्दील कर रही है तो दूसरी ओर इन पांच बड़े अस्पतालों में क्षमता होने के बाद भी मरीज भर्ती नहीं किए जा रहे हैं। यदि राज्य सरकार इन अस्पतालों में कोविड मरीजों के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध करवा दे तो सरकारी अस्पतालों का भार कम होगा, लेकिन फिलहाल इन अस्पतालों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया है। इस मामले में भाजपा के सांसद और विधायकों का भी उदासीन पूर्ण रवैया है। केन्द्र में भाजपा की सरकार होने के बाद सांसद और विधायक प्रभावी कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। ऐसे जनप्रतिनिधि यह तो चाहते हैं कि उनके फोन पर कोविड मरीज को भर्ती कर लिया जाए, लेकिन केन्द्र सरकार से जरूरी ऑक्सीजन उपलब्ध करवाने के लिए ठोस कार्यवाही नहीं करते हैं। हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने जयपुर, अजमेर के सांसदों और भाजपा विधायकों से सहयोग मांगा है। राज्य और केन्द्र सरकार का यह दायित्व है कि कोरोना काल में इन अस्पतालों को भी ऑक्सीजन उपलब्ध करवाया जाए। आखिर मरीज भी तो इन्हीं जन प्रतिनिधियों के निर्वाचन क्षेत्रों के हैं।

मित्तल अस्पताल में 24 घंटे का ऑक्सीजन:

एयर लिक्विड नॉर्थ इंडिया प्रा.लि. की वजह से ऑक्सीजन की किल्लत से जूझ रहे अजमेर के पुष्कर रोड स्थित मित्तल अस्पताल में अब 24 घंटे का ही ऑक्सीजन बचा है। इस स्थिति को देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने मरीजों की भर्ती रोक दी है तथा जो मरीज भर्ती हैं उन्हें भी छुट्टी दी जा रही हळै। अस्पताल के प्रबंधन ने प्रशासन को भी ऑक्सीजन की स्थिति से अवगत करा दिया है। मित्तल अस्पताल में कोविड के 90 मरीज तक भर्ती किए जा रहे थे। नई भर्ती नहीं होने से अजमेर के लोगों को भारी परेशानी हो रही है।

क्षेत्रपाल अस्पताल में बेड बढ़ेंगे:

अजमेर के पंचशील स्थित क्षेत्रपाल अस्पताल में अब कोविड मरीजों के लिए और बेड बढ़ाए जाएंगे। अस्पताल के निदेशक डॉ. अरुण क्षेत्रपाल ने बताया कि अभी कोविड मरीज के लिए 50 बेड है, लेकिन अगले दो तीन दिन में 20 बेड की वृद्धि की जाएगी। अस्पताल में सभी बेड फुल होने के कारण नए मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। लेकिन जैसे ही किसी मरीज की भर्ती होती है तो नए मरीज को भर्ती कर लिया जाता है।

संतुलित उपयोग करें:

अजमेर के जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने अपेक्षा की है कि निजी अस्पताल भी ऑक्सीजन का संतुलित उपयोग करें। राज्य सरकार की गाइड लाइन के अनुरूप निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की ऑडिट की जा रही है। अस्पतालों को ऑक्सीजन के सिलेंडर भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। सरकारी अस्पतालों के साथ निजी अस्पतालों पर भी प्रशासन की नजर है। प्रशासन का प्रयास है कि ऑक्सीजन के अभाव में किसी भी मरीज को परेशानी न हो। 

S.P.MITTAL BLOGGER (03-05-2021)

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