अजमेर में राजस्थान पत्रिका ने
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9 फरवरी को अजमेर के आना सागर के किनारे ऐतिहासिक बारादरी पर राजस्थान पत्रिका की ओर से आयोजित तीन दिवसी बर्ड फेयर की शुरुआत हुई। एक तरफ आनासागर में अठखेलियां करते प्रवासी पक्षी तो दूसरी तरफ बारादरी पर स्कूली बच्चे पेटिंग बनाते हुए। यह दृश्य वाकई रोमांचित करने वाला था। शुभारंभ समारोह के सभी वक्ताओं ने माना कि अजमेर में पर्यावरण और प्रवासी पक्षियों के प्रति जागरुकता बढ़ाने में राजस्थान पत्रिका की महत्वपूर्ण भूिमका रही है। भागदौड़ वाली जिन्दगी में पक्षियों का भी महत्व होता है, इसके बारे में शहरवासियों को पत्रिका ने लगातार जागरुक किया। पत्रिका के अजमेर संस्करण के सम्पादक उपेन्द्र शर्मा ने कहा कि शहर के बीचों बीच बने आनासागर में प्रति वर्ष प्रवासी पक्षी आते हैं। किसी भी शहर के लिए यह अपने आप में खास बात है क्योंकि दुलर्भ प्रजातियों के ये पक्षी समुन्द्रों, पहाड़ों, रेतीले भागों आदि की सीमाओं को पार करते आते हैं। इन पक्षियों के महत्व को ध्यान में रखते हुए ही गत वर्ष से जिला प्रशासन, एडीए और नगर निगम के माध्यम से बर्ड फेयर शुरू किया गया। इसमें शहरवासियों का भरपूर सहयोग मिला है। एडीए के अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा ने राजस्थान पत्रिका को भरोसा दिलाया है कि प्रति वर्ष इस तरह के आयोजन में सहयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पत्रिका ने यह अनूठा कार्य किया है और इससे शहरवासियों को पर्यावरण और पक्षियों के संरक्षण की प्ररेणा लेनी चाहिए।
लखावत ने उठाया पाल बीसला तालाब का मुद्दाः
समारोह में राजस्थान धरोहर संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत ने कहा कि अजमेर में बाहर से पानी की कोई आवक नहीं है, लेकिन शहर के अनेक तालाबों में बरसात का पानी वर्ष भर भरा रहता था। फाॅयसागर का ओवर फ्लो पानी आनासागर में तथा आनासागर का पानी पाल बीसला और खानपुरा के तालाब तक जाता था। लेकिन हमारे स्वार्थ की वजह से पाल बीसला का तालाब नहीं रहा है। लखावत ने एडीए और नगर निगम से आग्रह किया कि हर कीमत पर पाल बीसला के तालाब को बचाया जाए। इससे शहर का भूमिगत जल स्तर भी बढ़ेगा। राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने जल संरक्षण अभियान इसलिए चलाया है ताकि तालाबों को पुनर्जीवित किया जाए। लखावत ने आनासागर की वर्तमान भराव क्षमता को बढ़ाने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि जब वे अजमेर नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष थे, तब उन्होंने सभी दबावों को दर किनार कर आनासागर के चैनल गेट नहीं खुलने दिए। लखावत ने आनासागर के भराव क्षेत्र में अतिक्रमणों पर भी चिंता जताई। बर्ड फेयर के आयोजन के संबंध में लखावत का कहना रहा कि इससे प्रवासी पक्षियों के साथ पर्यावरण के प्रति भी जागरुकता बढ़ी है।
देश में सबसे बढ़िया पर्यावरण अजमेर काः
समारोह में मेरा कहना रहा कि देशभर में सबसे बढ़िया पर्यावरण अजमेर का है। यहां न ज्यादा गर्मी पड़ती है और न सर्दी। इसलिए अंग्रेजों के शासन में वायसराय की कोठी अजमेर में ही बनवाई गई। आनासागर झील शहर का प्राकृतिक सौंदर्य है। लेकिन इसे अफसोसनाक कहा जाएगा कि इस झील में आधे शहर का मल मूत्र युक्त पानी आज भी गिर रहा है। जिसकी वजह से झील प्रदूषित ही नहीं बल्कि जहरीली भी हो गई है। समारोह में उपस्थित निगम की डिप्टी कमिश्नर ज्योति ककवानी ने माना कि 10 नालों का गंदा पानी गिरने से आनासागर झील बेहद खराब हो गई है, लेकिन स्मार्ट सिटी योजना में इन नालों का गंदा पानी जल्द ही ट्रीटमंेट प्लांट तक ले जाया जाएगा, तब गंदे पानी के गिरने की शिकायत नहीं रहेगी। समारोह में पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र चैधरी, पर्यावरणविद् महेन्द्र विक्रम सिंह, शिक्षाविद् अनंत भटनागर, समाजसेवी राजेन्द्र गांधी, डाॅक्टर अतुल दुबे, शिक्षाविद् केके शर्मा आदि ने भी विचार रखे। समारोह का सफल संचालन पूनम पांडे ने किया। इस अवसर पर रंगीन गुब्बारे हवा में उड़ा कर बर्ड फेयर की शुरुआत की।
प्रदर्शनी भी लगाई:
समारोह स्थल पर ही एमडीएस यूनिवर्सिटी के पर्यावरण विभाग की ओर से प्रवासी और स्थानीय पक्षियों को लेकर एक प्रदर्शनी भी लगाई गई। समारोह में रंगीन फोल्डर का विमोचन किया गया। विभागाध्यक्ष डाॅ. प्रवीण माथुर ने बताया कि प्रवासी पक्षियों के लिए अजमेर का पर्यावरण तथा आनासागर झील बेहद उपयुक्त है। यहां पांच हजार किलोमीटर दूर से पक्षी आते हैं।
दो दिन में होंगे कार्यक्रम:
10 फरवरी को पुष्कर रोड स्थित पुरानी विश्राम स्थली पर प्रातः 9 बजे बर्ड वाचिंग, सायं 4 बजे गौरवपथ स्थित पाथ वे पर पक्षी संरक्षण पर खुली चर्चा तथा 11 फरवरी को प्रातः 9 बजे सागर विहार पाल पर नेचर वाॅच तथा सायं पांच बजे रीजनल काॅलेज के सामने वाली चैपाटी पर समापन समारोह होगा। बर्ड फेयर के सूत्रधार उपेन्द्र शर्मा ने शहरवासियों से सभी कार्यक्रमों में भाग लेने की अपील की है। बर्ड फेयर के आयोजन के लिए मोबाइल नम्बर 9829266006 पर उपेन्द्र शर्मा को बधाई दी जा सकती है।