अजमेर के कांग्रेस नेता और बीढ़ी उद्योग पति हेमंत भाटी के खिलाफ दर्ज एफआईआर की दोबारा से जांच होगी। भाई ललित भाटी ने ही लगाया है बेईमानी करने का आरोप।
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अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से गत बार कांग्रेस के उममीदवार रहे बीडी उद्योग पति हेमंत भाटी के विरुद्ध दर्ज एफआईआर की अब नए सिरे से जांच होगी। इस संबंध में एडीजे-3 शिल्प समीर ने 6 फरवरी को आदेश जारी किए हैं। हेमंत भाटी के बड़े भाई और पूर्व मंत्री ललित भाटी ने अपने वकील रामस्वरूप के जरिए एक वाद दायर कर आरोप लगाया कि पूर्व में सिविल लाइन पुलिस स्टेशन पर उन्होंने हेमंत भाटी के विरुद्ध परिवार की सम्पत्ति हड़पने और शंकर छापा बीड़ी के ट्रेडमार्क को अपने नाम करवाने को लेकर एक एफआईआर दर्ज करवाई थी लेकिन पुलिस ने तथ्यों की जांच किए बिना ही अदालत में एफआर प्रस्तुत कर दी। पुलिस की इस एफआर पर सिविल न्यायालय में ऐतराज भी किया गया, लेकिन इसके बावजदू भी अधीनस्थ न्यायालय ने एफआर को मंजूर करने के आदेश दे दिए। इससे मेरे अधिकारों का हनन हुआ है। वाद में ललित भाटी ने बताया कि वर्ष 2009 में पिता शंकर सिंह भाटी दिगामी बीमारी से ग्रस्त थे ऐसे में उनकी वसीयत गलत तरीके से तैयार की गई। वसीयत में कई स्थानों पर हस्ताखर भी अलग है। यह सारा कूटरचित कृत्य हेमंत भाटी के द्वारा किया गया। पुलिस के समक्ष एफएसएल रिपोर्ट से लेकर पिता की बीमारी तक के दस्तावेज प्रस्तुत किए गए। लेकिन पुलिस ने इन्हें गंभीरता के साथ नहीं लिया। निर्णय में विद्वान न्यायाधीश ने कहा कि पिता द्वारा अपनी समस्त संतानों में से एक पुत्र को संपत्ति से बेदखल किया जाना एक अस्वाभाविक तथ्य हैं। जिसके संबंध में विस्तृत अनुसंधान किया जाना चाहिये था। लेकिन अनुसंधान अधिकारी द्वारा उक्त संदेहास्पद स्थिति के संबंध में अनुसंधान नही किया जाने के बावजुद अधीनस्थ न्यायालय द्वारा उक्त संदेहास्पद स्थिति पर गौर नही कर आपेक्षित आदेश पारित किया है,जो त्रुटीपूर्ण है। उल्लेखनीय है कि भाटी बंधु इन दिनों भी कांग्रेस में सक्रिय हैं। लेकिन पारिवारिक विवाद के कारण दोनों के बीच छत्तीस का आंकड़ा है।