अजमेर की दरगाह के मौरूसी अमले में दीवान आबेदीन पर गाली गलौज करने का आरोप लगाया। नाजिम और पुलिस को शिकायत।
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अजमेर स्थित विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के दीवान जैनुल आबेदीन पर गाली गलौज करने का आरोप लगाया गया है। यह आरोपी दरगाह के ही मौरूसी अमले के प्रतिनिधि हाजी करीम खां और फतेश खां ने लगाया है। दरगाह कमेटी के नाजिम और दरगाह के थानाधिकारी को दी गई शिकायत में बताया गया कि 21 जून को महफिल के दौरान जब वे फातह पढ़ने की रस्म अदा कर रहे थे, कि तभी दरगाह दीवान आबेदीन आए और गालियां दी। दीवान का कहना था कि मौरूसी अमला उनके बेटे सैय्यद नसीरुद्दीन चिश्ती की सदारत में कोई रस्म पूरी नहीं करते हैं। दीवान चाहते हैं कि अब उनकी गैर मौजूदगी में उनका बेटा महफिल की सदारत करे तब भी मौरूसी अमला धार्मिक रस्मों को निभाए। 21 जून को जब दीवान आबेदीन हमारे साथ गाली गलौज कर रहे थे, तब हमने दरगाह कमेटी के आदेशों के बारे में कहा लेकिन आबेदीन ने हमारी एक नहीं सुनी। शिकायत में आग्रह किया गया है कि मौरूसी अमले की सुरक्षा के प्रबंध किए जावे। उल्लेखनीय है कि दीवान आबेदीन ने अपने बेटे नसीरुद्दीन चिश्ती को उत्तराधिकारी घोषित किया है। हालांकि दरगाह के खादिमों ने दीवान के इस फैसले को मानने से इंकार कर दिया है। खादिमों का कहना है कि सूफी परंपरा में कोई भी जीवित व्यक्ति अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं कर सकता है। जैनुल आबेदीन जब तक जिन्दा है, तब तक वे ही दीवान की भूमिका को निभाएंगे। वहीं दीवान आबेदीन चाहते हैं कि उनके जीवन काल में ही उनके पुत्र नसीरुद्दीन चिश्ती दीवान बन कर दरगाह की धार्मिक परंपराओं को पूरा करें।