एलडीसी परीक्षा देने के लिए आधे परीक्षार्थी ही आए।
चयन बोर्ड की व्यवस्थाओं पर सवाल। महिला अभ्यर्थियों को हुई परेशानी।
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राजस्थान की भाजपा सरकार की मंशा अधिक से अधिक युवाओं को नौकरी देने की है। लेकिन राज्य के कर्मचारी चयन बोर्ड ने एलडीसी ग्रेड सैकंड की परीक्षा के लिए जो मापदंड निर्धारित किए उसी का परिणाम रहा कि 19 अगस्त को दूसरे दौर की परीक्षा में आधे परीक्षार्थी ही परीक्षा देने नहीं आए। पहली पारी की परीक्षा के बाद चयन बोर्ड ने परीक्षार्थियों की उपस्थितियों के जो आंकड़े जारी किए उसके अनुसार 51 प्रतिशत उपस्थिति ही रही। कोई साढ़े ग्यारह हजार पदों के लिए 13 लाख अभ्यर्थियों की परीक्षा चयन बोर्ड चार चारणों में करवा रहा है। इसके लिए बोर्ड ने जो व्यवस्थाएं की है, उन्हीं का परिणाम है कि उपस्थिति घट रही है। जानकारों की माने तो बोर्ड ने अभ्यर्थियों को एक जिले से दूसरे जिले में भेजने का जो निर्णय लिया है, उससे अनेक अभ्यर्थी परीक्षा देने से वंचित हो गए हैं। बोर्ड ने नकल को रोकने के लिए अलवर भरतपुर जिलों के अभ्यर्थियों को अजमेर के परीक्षा केन्द्र पर बैठाया तो अजमेर वालों को बीकानेर परीक्षा देने के लिए भेजा। इससे गरीब परिवारों के अभ्यर्थी परीक्षा देने गए ही नहीं। वैसे भी इस व्यवस्था से परीक्षार्थियों खास कर महिला परीक्षार्थियों को भरी परेशानी हुई। चूंकि प्रत्येक रविवार को चयन बोर्ड दो पारियों में परीक्षा ले रहा है, पहली पारी प्रातः 8 बजे से है, इसलिए अभ्यर्थियों को अपने परीक्षा केन्द्र पर आधी रात को ही पहुंचना पड़ रहा है। अधिकांश अभ्यर्थी आर्थिक दृष्टि से इतने समर्थन नहीं है कि वे होटल में किराये का रूम लेकर रात्रि विश्राम करें और फिर प्रातः 8 बजे से पहले पहले परीक्षा देने के लिए आ जाए। ऐसे में आधी रात को ही अभ्यर्थी परीक्षा केन्द्रों पर आ जाते हैं। इससे महिला परीक्षार्थियों की समस्याओं का अंदाजा लगाया जा सकता है। अनेक परीक्षा केन्द्रों के पास सुलभ काॅम्प्लेक्स भी नहीं हैं ऐसी परिस्थितियों में महिला अभ्यर्थियों को मानिसक परेशानी के बीच ही परीक्षा देनी पड़ी।