भाजपा के राज में शिक्षक की नौकरी पाने वाले अब 5 सितम्बर को जयपुर में सीएम वसुंधरा राजे का शुक्रिया अदा करेंगे।

भाजपा के राज में शिक्षक की नौकरी पाने वाले अब 5 सितम्बर को जयपुर में सीएम वसुंधरा राजे का शुक्रिया अदा करेंगे। अमरुदों के बाग में सरकारी खर्चे पर जुटेंगे 50 हजार शिक्षक। अनुपस्थित रहने वाले शिक्षक का वेतन कटेगा।
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राजस्थान में दिसम्बर 2013 के बाद जिन युवाओं को शिक्षक की नौकरी मिली है वे अब 5 सितम्बर को जयपुर में अमरुदों के बाग में जुटेंगे और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का शुक्रिया अदा करेंगे। मालूम हो कि राजे ने 13 दिसम्बर 2013 को ही मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। हालांकि भाजपा राज में नौकरी पाने वाले शिक्षकों को 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस पर सम्मानित करने का बहाना है, लेकिन सिर्फ भाजपा राज के शिक्षकों को ही बुलाने से जाहिर है कि नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव को भी ध्यान में रखा गया है। चूंकि सभी शिक्षक सरकारी खर्चे पर जुटेंगे, इसलिए शिक्षा विभाग ने वित्त विभाग से 11 करोड़ रुपए की राशि इस सम्मेलन के लिए स्वीकृत कराई है। दिसम्बर 2013 के बाद आरपीएससी से भी चयनित शिक्षकों को शामिल कर लिया जाए तो जयपुर में कोई 50 हजार शिक्षक जुट जाएंगे, इसलिए चुनावी वर्ष का राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह जयपुर में अमरुदों के बाग में किया जा रहा है। सभी शिक्षकों को यात्रा व्यय के साथ-साथ भोजन भी उपलब्ध करवाया जाएगा।
यह कैसा सम्मान?
कहने को तो सरकार शिक्षको का सम्मान करने की बात कह रही है, लेकिन जिस तरीके शिक्षकों को जयपुर बुलाया जा रहा है उससे शिक्षकों के सम्मान पर सवालिया निशान लग गया है। सरकार की ओर से जो आदेश जारी किया है उसमें साफ कहा गया कि पांच सितम्बर को जयपुर में अनुपस्थित रहने वाले शिक्षकों को एक दिन का वेतन नहीं मिलेगा। इतना ही नहीं पांच सितम्बर को जयपुर आने वाले पात्र शिक्षकों को 4 सितम्बर को ही संबंधित शिक्षा अधिकारी के समक्ष उपस्थिति दर्ज करवानी होगी। इसी दिन शिक्षा अधिकारी की ओर से समारोह का निमंत्रण पत्र भी दिया जाएगा। इस निमंत्रण पत्र को गले में टांगने पर ही 5 सितम्बर को अमरुदों के बाग में प्रवेश मिलेगा। इस निमंत्रण पत्र के आधार पर ही शिक्षा अधिकारी जयपुर में उपस्थिति दर्ज करेंगे। बाद इसी आधार पर सम्मान पत्र दिया जाएगा। पिछले चार दिनों से शिक्षा विभाग में निमंत्रण पत्रों पर पात्र शिक्षकों के नाम लिखने का कार्य हो रहा है। शिक्षा अधिकारियों को मौखिक तौर पर पाबंद किया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र से शिक्षकों को लाने और ले जाने के लिए बसों का इंतजाम करें। बस का किराया शिक्षकों को मिलने वाले यात्रा व्यय में वसूला जाएगा। जिला अधिकारियों को ही निर्धारित 120 रुपए में खाने के पैकेट उपलब्ध करवाने हैं। सरकार ने खाने के पैकेट तैयार करवाने के लिए जिला शिक्षा अधिकारियों को 33 लाख रुपए की राशि आवंटित कर दी है।
काले रंग से डरः
शिक्षा अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि कोई भी शिक्षक काले रंग के कपड़े पहन कर समारोह में नहीं आए। यहां तक कि मोजे भी काले रंग के नहीं होने चाहिए। कोई अप्रिय घटना होने पर संबंधित जिला अधिकारी को ही जिम्मेदार माना जाएगा। सरकार को डर है कोई शिक्षक काले कपड़े दिखा कर मुख्यमंत्री का विरोध कर सकता है।
अधिकांश शिक्षक तो नाराजः
युवाओं को शिक्षक की नौकरी देकर सरकार वाहवाही लूटना चाहती है, लेकिन जानकारों की माने तो प्रदेश के अधिकांश शिक्षक सरकार की नीतियों से नाराज है। वेतनमान में कटौती करने के बाद सातवें वेतनमान की सुविधा दी गई है। चुनावी वर्ष में पांच सितम्बर को यात्रा व्यय हाथों हाथ दिया जा रहा है, जबकि शिक्षकों एवं शिक्षाकर्मियों का यात्रा व्यय, मेडिकल बिल आदि पिछले 8 वर्ष से बकाया है। नए शिक्षकों को 2 वर्ष तक तो स्थिर वेतन ही मिलता है। शिक्षक पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग पिछले कई वर्षों से कर रहे हैं। देखना है कि शिक्षकों की नाराजगी के चलते सरकार का सम्मान समारोह कितना सफल होता है। 5 सितम्बर के समारोह को लेकर सरकार ने जो आदेश जारी किए हैं उन्हे मेरे फेसबुक पेज www.facebook.com/SPMittalblog पर देखा जा सकता है।
एस.पी.मित्तल) (31-08-18)
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