कितना जरूरी है कांग्रेस का 10 सितम्बर को भारत बंद।
क्या मोदी सरकार पर असर पड़ेगा?
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कांग्रेस के कार्यकर्ता 10 सितम्बर को भारत बंद करवाएंगे। कांग्रेस का कहना है कि यह बंद केन्द्र की भाजपा सरकार पर दबाव डालने के लिए ही है। बंद के माध्यम से देश की जनता की आवाज सरकार तक पहुंचाई जाएगी। चूंकि पेट्रोल-डीजल के दाम रोजाना बढ़ रहे हैं। इसलिए आम लोग दुःखी और परेशान हैं। कांग्रेस एक राजनीतिक दल है। स्वभाविक है कि बंद के पीछे राजनीतिक कारण भी होंगे। लेकिन सवाल उठता है कि वर्तमान हालातों में भारत बंद कितना जरूरी है तथा इस बंद का मोदी सरकार पर कितना असर पड़ेगा? यह माना कि पेट्रोल डीजल के मूल्य बढ़ने से महंगाई भी बढ़ रही है और आम लोगों का जीना दूभर हो रहा है। लेकिन कांग्रेस यह भी अच्छी तरह जानती है कि चार दिन पहले ही 6 सितम्बर को भारत बंद रहा है। 6 सितम्बर के भारत बंद में किसी भी राजनीतिक दल का सहयोग नहीं था। सही मायने में 6 सितम्बर का बंद स्वैच्छिक था, लेकिन अब दस सितम्बर के बंद को सफल बनाने के लिए रणनीति बनाई जा रही है। इस बंद में कितनी हिंसा होगी, यह 10 सितम्बर को ही पता चलेगा। लेकिन सब जानते है कि बंद होने से गरीब तबके के ठेले, खोमचे, केबिन आदि वालों के साथ-साथ श्रमिकों को भी परेशानी होती है। हालांकि ऐसे गरीब लोगों की दुहाई देकर ही बंद करवाया जा रहा है। लेकिन सवाल ये भी है कि इस बंद का नरेन्द्र मोदी की सरकार पर कितना असर पड़ेगा? क्या दस सितम्बर के बाद पेट्रोल-डीजल के दाम कम हो जांएगे? जबकि सच्चाई ये है कि पिछले एक पखवाड़े से रोजाना पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ रहे हैं। 9 सितम्बर को भी करीब चालीस पैसे की वृद्धि हुई है। देश के कई राज्यों में पेट्रोल 85 रुपए प्रति लीटर हो गया है। लोकतंत्र में विपक्ष का विरोध जायज भी है, लेकिन राजनीतिक दलों को इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि बार बार भारत बंद होने से आम लोगों को परेशानी भी होती है। चूंकि यह कांग्रेस का बंद है इसलिए भाजपा के नेता बंद पर सवाल उठा रहे हैं। राजनीतिक दलों के नेताओं का अपना-अपना नजरिया हो सकता है लेकिन निष्पक्ष लोग यह जानना चाहते हैं कि छह सितम्बर के भारत बंद के समर्थन में राजनीतिक दलों के नेता सामने क्यों नहीं आए? कांग्रेस पेट्रोल-डीजल की मूल्य वृद्धि के लिए भी मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराती हो, लेकिन भाजपा के नेताओं का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के मूल्य में वृद्धि होने और डाॅलर के मुकाबले रुपए का कम होना ही पेट्रोल-डीजल में वृद्धि का कारण है।