विधानसभा चुनाव में अग्रवाल समाज की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं होगी।
जयपुर में जुटे राजस्थान भर के अग्रवाल।
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30 सितम्बर को जयपुर में अग्रवाल समाज का महाकुंभ हुआ। इसमें अजमेर के अग्रवालों ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया। कोई दस लक्जरी बस और पचास से भी ज्यादा छोटे वाहनों में भरकर समाज के लोग जयपुर पहुंचे। 30 सितम्बर को सुबह सभी वाहनों को मैंने झंडी दिखाकर अजमेर से रवाना किया। इस अवसर पर मेरे साथ विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय पदाधिकारी आनंद गोयल, लाॅयंस क्लब के प्रांतपाल सतीश बंसल आदि भी थे। जयपुर का महाकुंभ अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन की पहल पर आयोजित हुआ, लेकिन इस महाकुंभ में समाज के सभी धड़ों के पदाधिकारी और प्रतिनिधि उपस्थित रहे। एक अनुमान के मुताबिक विद्याधर नगर स्टेडियम के निकट बालाजी टावर के परिसर में कोई पचास हजार अग्रवाल उपस्थित थे। प्रतिनिधियों ने एक स्वर से कहा कि नवम्बर में होने वाले राजस्थान के विधानसभा चुनाव में अग्रवाल समाज की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। चुनाव में सभी राजनीतिक दल अग्रवाल समाज के धनाढ्य लोगों से चंदा और सहयोग लेते हैं। लेकिन जब समाज को राजनीतिक दलों की जरूरत होती है तो फिर हमारा प्रतिनिधित्व बेहद कम और कमजोर होता है। सवाल भाजपा और कांग्रेस का नहीं सवाल समाज के प्रतिनिधित्व का है। महाकुंभ में यह भी निर्णय लिया गया कि जिस विधानसभा क्षेत्र में समाज का उम्मीदवार होगा, उसे प्राथमिकता दी जाएगी। महाकुंभ में केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल शरण गर्ग, पूर्ण केन्द्रीय मंत्री संतोष बागदोरिया, प्रदेश के चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ, विधायक विजय गोयल, बनवरी लाल सिंघल, कामनी जिंदल, मोहनलाल गुप्ता, सम्मेलन के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद नारायण अग्रवाल, केके गुप्ता, मुख्य संयोजक पवन गोयल आदि ने भी अपने विचार रखे।
अजमेर में दिखा उत्साहः
महाकंुभ में भाग लेने के लिए अजमेर में उत्साह देखा गया। समाज की महिलाओं ने भी बड़ी संख्या में जयपुर में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। सम्मेलन के जिला संयोजक गिरधारी मंगल, रामचरण बंसल, प्रवीण अग्रवाल, विष्णु च ौधरी, नरेन्द्र बंसल, गिरिराज अग्रवाल, हेमंत तायल, राजकुमार गर्ग, दीपचंद श्रीया, विष्णु मंगल, पीयूष अग्रवाल, महेन्द्र मित्तल आदि ने सक्रिय भूमिका निभाई। संभवतः यह पहला अवसर रहा,जब अग्रवाल समाज के किसी कार्यक्रम उत्साह व एकजुटता देखने को मिली। महत्वपूर्ण बात ये थी कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेता सक्रिय रहे।