जीवन बचाने के लिए पर्यावरण का बचना जरूरी।
अजमेर में राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोले केन्द्रीय मंत्री सीआर च ौधरी।
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1 अक्टूबर को अजमेर के सम्राट पृथ्वीराज चैहान राजकीय महाविद्यालय में भूगोल विभाग की ओर से पर्यावरण विषय चुनौतियां एवं नवाचार पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू हुई। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में केन्द्रीय मंत्री सीआर च ौधरी ने कहा कि मनुष्य का जीवन बचाने के लिए पर्यावरण का बचना जरूरी है। यदि पर्यावरण नहीं बचेगा तो फिर मनुष्य भी सांस नहीं ले सकेगा। दूषित पर्यावरण की वजह से ही पंजाब में एक ट्रेन कैंसर ट्रेन के नाम से प्रसिद्ध हो गई है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण का मतलब प्राकृतिक संसाधनों से ही नहीं है, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी पर्यावरण को बचाने की कोशिश होनी चाहिए। केन्द्र सरकार का प्रयास है कि 25 हैक्टेयर में ग्रीन पेच विकसित किए जाएं। जिस तरह से गांव की आबादी शहरों की ओर आ रही है, उससे पर्यावरण को और खतरा हो गया है। आज गांव के तालाब, बावड़ी, कुए सूखते जा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण पेड़ों का कटना है। यही वजह है कि आज पोर्टेबल वाॅटर पर निभरता बढ़ती जा रही है। पानी की समस्या के समाधान के लिए स्थानीय स्रोत को ही विकसित करना होगा। पहले संबंधित गांव और शहर को पीने का पानी क्षेत्र के तालाब कुए, बावड़ी से ही होता था। लेकिन अजमेर शहर के लिए ही 135 किलोमटीर दूर बीसलपुर बांध से पानी लाया जाता है। हम देख रहे हैं कि इस बार बरसात नहीं होने से बीसलपुर बांध में पानी की कमी हो गई, जिसका खामियाजा अब अजमेर और जयपुर के लोगों को उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर्यावरण को लेकर बेहद चिंतित हैं। इसलिए देश भर में स्वच्छता अभियान भी चलाया गया है। पर्यावरण को बचाने में स्वच्छता अभियान की महत्वपूर्ण भूमिका साबित होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस संगोष्ठी में जो विद्वान भाग लेंगे वे पर्यावरण को बचाने के लिए कोई ठोस सुझाव देंगे। च ौधरी ने प्रोफेसर स्नेह सक्सैना के महाविद्यालय प्राचार्य बनने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि 183 वर्ष के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब महिला प्राचार्य बनी हैं। इसका कारण यही है कि इस समय मुख्यमंत्री के पद पर भी महिला हैं। संगोष्ठी के संयोजक डाॅ. मिलन यादव ने बताया कि संगोष्ठी में 184 शोध पत्रों का प्रस्तुति करण किया जा रहा है। इसमें रायपुर के प्रोफेसर एचएस गुप्ता, प्रो. संतोष शुक्ला, प्रो.आरवी वर्मा, प्रो. बीआर तेली, प्रो. एससी कलवार, प्रो. आरएन मिश्र, प्रो. सुब्रोतोदत्ता जैसे विद्वान भाग ले रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह संगोष्ठी विद्यार्थियों के लिए उपयोग साबित होगी।