अजमेर में अब जाट मतदाताओं की चिंता सता रही है भाजपा को। सांवरलाल जाट को मिल सकता है लाभ का पद।

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बीमार होने का बहाना कर अजमेर के सांसद सांवरलाल जाट को केन्द्रीय मंत्रीमंडल से हटा तो दिया, लेकिन अब भाजपा को अजमेर के जाट मतदाताओं की चिंता सता रही है। इसलिए राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि सांवरलाल जाट को राजस्थान में भाजपा की सरकार में कोई लाभ का पद दिया जाएगा ताकि उन्हें मंत्री स्तर की सरकारी सुविधाएं मिलती रहें। जानकारों की माने तो सीएम वसुंधरा राजे जाट के मामले को गंभीरता के साथ ले रही है। 18 जुलाई को जब सीएम रूस यात्रा से वापस आएंगी तो जाट को किसान आयोग के अध्यक्ष जैसे किसी पद पर विराजमान करवाया जा सकता है। सीएम राजे भी यह अच्छी तरह समझती हैं कि अजमेर के जाट समुदाय में सांवरलाल का अच्छा प्रभाव है। इस प्रभाव को देखते हुए ही राजे ने गत लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार सचिन पायलट के सामने जाट को ही उतारा। यदि सांवरलाल जाट भाजपा के उम्मीदवार नहीं होते तो पायलट को हराना मुश्किल था। जाट ने पायलट को करीब 1 लाख मतों से पराजित किया। जाट ने लोकसभा का चुनाव तब लड़ा था जब वे राजस्थान में सिंचाई और जलदाय जैसे विभागों के केबिनेट मंत्री थे तब भी यह चर्चा थी कि जाट लोक सभा का चुनाव लडऩा नहीं चाहते थे, लेकिन वसुंधरा राजे के कहने की वजह से ही चुनाव लड़ा। केन्द्र में मंत्री बनाए जाने के बाद यह उम्मीद जताई गई कि अब जाट राष्ट्रीय राजनीति में ही रहेंगे, लेकिन स्वास्थ्य खराब होना यह बताता है कि जाट को केन्द्रीय मंत्री का पद रास नहीं आया। जब चूंकि केन्द्रीय मंत्री का पद भी छीन गया है इसलिए वसुंधरा राजे की यह जिम्मेदारी है कि वे प्रदेश में जाट का मान-सम्मान बरकरार रखे। ढाई वर्ष बाद विधानसभा के चुनाव होने है। ऐसे में अजमेर के जाट मतदाताओं के लिए सांवरलाल जाट की ही जरूरत होगी।

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(एस.पी. मित्तल) (13-07-2016)
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