अजमेर से ज्यादा पानी जयपुर को क्यों दिया जा रहा है।
जयपुर में रोजाना और अजमेर में तीन दिन में पानी की सप्लाई, यह कहां का न्याय है? राजनेताओं की चुप्पी शर्मनाक।
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26 अक्टूबर को अजमेर की पेयजल समस्या को लेकर संयुक्त श्रमिक समन्वय समिति के बैनर तले गांधी भवन पर धरना दिया। श्रमिक नेता मोहन चेलानी, डीएल त्रिपाठी, सुमित पुट्टी, अनंत भटनागर, दिनेश शर्मा, भंवर सिंह जोधा आदि ने आग उगलने वाले भाषण भी दिए। हालांकि इन नेताओं को भी पता है कि बरसात नहीं होने की वजह से अजमेर जिले के एक मात्र स्त्रोत बीसलपुर बांध में पानी की आवक कम होने से जलदाय विभाग ने सप्लाई में कटौती की है। यही वजह है कि इन दिनों अजमेर में तीन-चार दिनों में एक बार पेयजल की सप्लाई हो रही है। लेकिन अहम सवाल यह है कि अजमेर के मुकाबले जयपुर को पानी ज्यादा क्यों दिया जा रहा है? पानी की राशनिंग के बाद भी जयपुर को रोजाना 364 एमएलडी और अजमेर को 255 एमएमडी पानी दिया जा रहा है। जयपुर में रोजाना पेयजल की सप्लाई और अजमेर में तीन-चार दिन में एक बार सप्लाई, यह कहां का न्याय है? यह माना कि बीसलपुर बांध के पानी पर जयपुर का भी अधिकार है, लेकिन इस अधिकार की आड़ में अजमेर के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता। ऐसा नहीं हो सकता कि बीसलपुर बांध से पानी लेकर जयपुर को तो रोजाना सप्लाई किया जाए और अजमेर को तीन चार दिन में एक बार। जब पानी का स्त्रोत एक ही है तो फिर भेदभाव क्यों? बीसलपुर बांध के पानी पर जितना हक जयपुर का है, उससे कहीं ज्यादा अजमेर का है, क्योंकि बांध का निर्माण अजमेर के लोगों की प्यास बुझाने के लिए हुआ था। जहां तक अजमेर के भाजपा और कांग्रेस के नेताओं की चुप्पी का सवाल है तो यह बेहद शर्मनाक है। जयपुर के मुकाबले अजमेर के साथ हो रहे भेदभाव के मुद्दे पर दोनों दलों के नेता चुप हैं। छोटे छोटे विषयों पर बयान जारी करने वाले अजमेर के कांग्रेसी सांसद रघु शर्मा भी इस भेदभाव पर खामोश हैं। भाजपा के नेताओं को तो सांप सूंघ गया है। पिछले दिनों इस मुद्दे पर वकीलों ने आंदोलन शुरू किया था। लेकिन वकीलों का यह आंदोलन भी राजनीतिक का शिकार हो गया। भाजपा के 8 में 7 विधायक हैं और इनमें चार विधायक मंत्री पर की सुविधा भोगी है। लेकिन अजमेर के साथ हो रहे भेदभाव पर भाजपा के विधायक भी चुप है। वर्ष 2013 में हुए चुनाव के मौके पर वसुंधरा राजे सहित सभी भाजपा नेताओं ने अपने रोजाना पेयजल सप्लाई का वायदा किया था, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव के मौके पर अजमेर में 3-4 दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई हो रही है। अजमेर के मतदाताओं के मन में कितना गुस्सा होगा, इसका अंदाजा भाजपा के नेताओं को नहीं है। हालांकि मतदाताओं ने लोकसभा के उपचुनाव में भाजपा को संकेत दे दिया, लेकिन भाजपा के नेता भी समझ नहीं रहे हैं।