उमर अब्दुल्ला ने कश्मीर की स्वतंत्रता का फिर राग अलापा।
ऐसे नेताओं की सुरक्षा क्यों नहीं हटाई जाती?
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हमारे कश्मीर के हालात बद से बदत्तर होते जा रहे हैं। पाकिस्तान से प्रशिक्षित होकर आए आतंकी कश्मीर के अलगाववादियों के साथ मिलकर रोजाना हमारे सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। जब कभी सुरक्षा बलों की बंदूक से कोई आतंकी मारा जाता है तो अनेक मुस्लिम नेता मातम करने पहुंच जाते हैं, लेकिन जब सुरक्षा बलों का कोई जवान शहीद होता है तो ऐसे नेताओं के मुंह से सहानुभूति का एक शब्द भी नहीं निकलता है। अब एक बार फिर जब कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने कश्मीर को स्वायतत्ता देने की मांग की है। उमर के पिता फारुख और दादा शेख अब्दुल्ला भी मुख्यमंत्री रहे और जब विपक्ष में होते हैं तो ऐसी मांग करते हैं। अब्दुल्ला खानदान ने ही कश्मीर में सबसे ज्यादा समय तक राज किया है। अब्दुल्ला खानदान स्वायतत्ता की तो मांग करता है, लेकिन इस बात की गारंटी नहीं देता कि स्वायतत्ता मिलने के बाद कश्मीर में आतंकवाद समाप्त हो जाएगा। कश्मीर की राजनीति को समझने वालों का मानना है कि जब कभी अब्दुल्ला खानदान की नेशनल काॅन्फ्रेंस पार्टी कमजोर होती है, तब स्वायतत्ता की मांग की जाती है। जबकि पाकिस्तान में बैठे आतंकी स्वायतत्ता की मांग पर सहमत नहीं है। आतंकियों का मकसद तो कश्मीर की आजादी है।
सब जानते हैं कि अब्दुल्ला खानदान की आतंकियों के सामने एक नहीं चलती है। यदि भारत के सुरक्षा बल फारुख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला की सुरक्षा न करें तो आतंकी इन्हें भी मौत के घाट उतार दें। हमारे सुरक्षा बलों की वजह से ही अब्दुल्ला खानदान कश्मीर में स्वायतत्ता की मांग करने लायक बना हुआ है। अब्दुल्ला खानदान को भारत की एकता और अखंडता से कोई सरोकार नहीं है। अब्दुल्ला खानदान के शासन में ही कश्मीर घाटी से चार लाख हिन्दुओं को पीट पीटकर भगा दिया गया। तब उमर अब्दुल्ला और फारुख अब्दुल्ला ने कोई मदद नहीं की। आज कश्मीर घाटी हिन्दू विहीन हो गई इसका नतीजा है कि घाटी में एक तरफा माहौल है। हमारे सुरक्षा बलों को आतंकियों की गोलियों के साथ-साथ कश्मीरियों के पत्थरों का भी मुकाबला करना पड़ता है। अनुच्छेद 370 और 35ए की वजह से कश्मीर घाटी पहले ही अलग थलग है। अब यदि स्वायतत्ता दे दी जाए तो पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के मंसूबे पूरे हो जाएंगे। जम्मू कश्मीर का मतलब सिर्फ तीन चार जिलों की अशांत घाटी ही नहीं है बल्कि जम्मू और लद्दाख जैसे क्षेत्र भी हैं। इन क्षेत्रों के निवासी यह जानते हैं कि यदि भारत सरकार की आर्थिक मदद न मिले तो जम्मू कश्मीर के लोग भूखे मर जाएंगे। आतंकी घटना की वजह से कश्मीर का पर्यटन उद्योग खत्म हो गया है। सरकार रियायती दरों पर जो खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाती है, उसी को खाकर जम्मू कश्मीर के लोग जीवन यापन कर रहे हैं।