पोषाहार घोटाले में तीस हजार पन्नों की चार्ज शीट पेश।
फर्जी स्वयं सहायता समूह बना सरकारी राशि का गबन।
आरोपी तीन माह से है जेल में। 11 करोड़ के भ्रष्टाचार का अनुमान।
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26 अक्टूबर को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की ओर से अजमेर स्थित विशेष अदालत के न्यायाधीश आलोक सुरोलिया की अदालत में तीस हजार पन्नों की चार्जशीट पेश की गई। इसके साथ ही आरोपियों और अन्य पक्षों को चार्जशीट की फोटो प्रति उपलब्ध करवाने के लिए लिए एक लाख 75 हजार पन्ने अदालत में प्रस्तुत किए गए। एसीबी के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब करीब दो लाख पन्नों के साथ चार्जशीट प्रस्तुत की गई है। एसीबी की अजमेर स्थित यूनिट के डीएसपी महिपाल च ौधरी ने बताया कि नागौर स्थित आईसीडीएस के पोषाहार केन्द्रों पर हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज की गई थी। जांच के बाद छापामार कार्यवाही करते हुए नागौर की आईसीडीएस उषा रानी और ठेकेदार हरि सिंह, किशोर बैंदा और योगेश दायमा को गिरफ्तार किया गया। उषा रानी के पास से चालीस हजार रुपए तथा ठेकेदार के पास से 51 लाख रुपए बरामद किए गए। जांच पड़ताल में यह पता चला कि करीब सौ फर्जी स्वयं सहायता समूह बनाकर सरकारी राशि का गबन किया जा रहा था। एक समूह में न्यूनतम दस सदस्य थे। ऐसे में कोई एक हजार लोगों के फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए।एसीबी का अनुमान है कि कोई 11 करोड़ रुपए की राशि का गबन हुआ है। गिरफ्तारी के बाद से ही चारों आरोपी पिछले तीन माह से न्यायिक अभिरक्षा में हैं। उच्च न्यायालय से भी जमानत नहीं मिल सकी है। 26 अक्टूबर को चार्जशीट प्रस्तुत करने के समय चारों आरोपियों को भी सेंट्रल जेल से अदालत में लाया गया। इस पूरे मामले को उजागर करने में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सीपी शर्मा व एसीबी के सीआई इस्माइल खान, कैलाश चारण, युवराज सिंह, भरत सिंह, श्योपाल, किरण कुमार व शिवसिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही।