राजनाथ सिंह ने घोषित किया अमितशाह को आडवानी का उत्तराधिकारी।
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Sp mittal
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March 30, 2019
राजनाथ सिंह ने घोषित किया अमितशाह को आडवानी का उत्तराधिकारी।
पहले मोदी के लिए भी ऐसी ही मेहनत की थी।
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30 मार्च को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह ने गुजरात की गांधी नगर सीट से अपना नामांकन दाखिल कर दिया। शाह ने पूरे ताम झाम के साथ रोड शो किया। इस मौके पर आयोजित एक सभा में केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज मैं अमितशाह को हमारे वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवानी को उत्तराधिकारी घोषित करता हंू। आडवानी इसी गांधी नगर क्षेत्र से पांच बार सांसद रह चुके हैं, लेकिन इस बार पार्टी ने आडवानी का टिकिट काट कर अमितशाह को दिया है। हालांकि इस सभा में आडवानी उपस्थित नहीं थे। आमतौर पर संबंधित व्यक्ति ही अपना उत्तराधिकारी घोषित करता है। जैसे एक पिता अपने पुत्र को या एक गुरु अपने शिष्य को, लेकिन राजनीति में सब कुछ संभव है। इसलिए आडवानी की गैर मौजूदगी में राजनाथ ने शाह को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। अमितशाह ने भी राजनाथ का इशारा समझते हुए कहा कि अब मैं आडवानी जी की विरासत को ही आगे बढ़ाऊगा; यानि राजनाथ और अमितशाह ने बड़ी चतुराई से आडवानी का चैप्टर बंद कर दिया। अमितशाह को उत्तराधिकारी घोषित करने पर फिलहाल आडवानी की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लेकिन राजनाथ ने इस लोकसभा चुनाव में वैसा ही किया है, जैसा 2014 में किया था। राजनीति के जानकारों को पता है कि तब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ही थे। नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठाने पर राजनाथ ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। आडवानी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिंन्हा जैसे नेताओं के विरोध को दरकिनार कर राजनाथ मोदी के साथ खड़े हुए हैं। भाजपा के कुछ नेताओं ने जो बाधा खड़ी की उसे राजनाथ ने धराशाही कर दिया। राजनाथ ने मोदी को पीएम बनवाने में जो भूमिका बनाई उसी का परिणाम रहा कि पूरे पांच वर्ष मोदी सरकार में राजनाथ सिंह का दबदबा बना रहा। राजस्थान के भाजपा नेता वीपी सिंह बदनौर जैसों को राज्यपाल बनवाने में राजनाथ की एक तरफा चली। आज भी राज्यपालों की नियुक्ति और तबादलों में राजनाथ की राय ही मानी जाती है। नितिन गडकरी जैसे मंत्री भले ही लीेक से हटकर बयान दे, लेकिन राजनाथ हमेशा मोदी सरकार के साथ रहे। तीस मार्च को भी राजनाथ ने साफ कर दिया कि भाजपा की राजनीति में नरेन्द्र मोदी और अमितशाह ही सर्वेसर्वा होंगे। आडवानी की कमी को दूर करने के लिए क्षेत्रीय दलों के नेता प्रकाश सिंह बादल, उद्धव ठाकरे, रामविलास पासवान आदि को भी अमितशाह के नामांकन पर बुलाया गया।