तो क्या राफेल विमान के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के रुख से विपक्ष को मोदी सरकार को घेरने का अवसर मिल गया?
क्या अब मोदी क्लीन चिट की बात कह पाएंगे?
कितना खिलाफ है सुप्रीम कोर्ट का रुख।
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10 अप्रैल को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जैसे ही राफेल विमान सौदे के प्रकरण को दोबारा से सुनवाई के लिए मंजूर किया, वैसे ही विपक्षी दलों के नेताओं के हमले मोदी सरकार पर शुरू हो गए। हालांकि अभी सुप्रीम कोर्ट ने अपना कोई निर्णय नहीं दिया है और न ही विमान सौदे पर आपत्ति जताई है। कोर्ट ने दोबारा से सुनवाई पर सहमति दी है तथा वकील प्रशांत भूषण द्वारा प्रस्तुत नए तथ्यों को सुनवाई में शामिल करने का आदेश दिया है। अभी सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आना शेष है। लेकिन यह माना जा सकता है कि पूर्व में कोर्ट ने विमान सौदे को लेकर सरकार को जो क्लीन चिट दी थी, उस पर पानी फिर गया है। पूरा देश जानता है कि सुप्रीम कोर्ट की क्लीन चिट के बाद भी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री को चोर कहते रहे, लेकिन अब जब कोर्ट ने क्लीन चिट को वापस ले लिया है तो राहुल गांधी के हमलावर रुख का अंदाजा लगाया जा सकता है। राहुल गांधी ही नहीं ममता बनर्जी, मायावती, अखिलेश यादव जैसे विपक्षी नेता प्रधानमंत्री पर व्यक्तिगत लांछन लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन से इस्तीफा भी मांग लिया जाएगा। कोर्ट का यह रुख तब सामने आया है जब लोकसभा चुनाव में पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को होना है। सब जानते हैं कि मोदी को हराने के लिए पूरा विपक्ष एकजुट हो गया है। कांग्रेस तो दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल तक से गठबंधन करने को तैयार है। मायावती ने मुलायम सिंह से दुश्मनी भुला कर अखिलेश से गठबंधन कर लिया है। बंगाल में ममता बनर्जी तो मोदी के खिलाफ बोलने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। स्वभाविक है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय 23 मई से पहले नहीं आएगा। जब जस्टिस रंजन गोगोई के लिए अयोध्या का मुकदमा प्राथमिकता वाला नहीं है तो फिर राफेल विमान सौदा कैसे खास हो सकता है? इसलिए आराम से सुनवाई होगी। अब यदि चुनाव में सरकार का कोई प्रतिकूल असर पड़ता है तो यह सरकार की जिम्मेदारी है। इतना जरूर है कि अब प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के नेता सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिलने की बात नहीं कह सकेंगे। सरकार पर यह जो बम फूटा है उसकी आवाज में कुछ दिनों कई मुद्दे गौण हो जाएंगे। कोर्ट का रुख आते ही चैनलों पर डिबेट शुरू हो गई है। राफेल सौदे पर असल फैसला 23 मई को आएगा।