पूर्व सैन्य अधिकारियों के फर्जी पत्र के आधार पर न्यूज चैनलों पर चली खबरें।
यूपी में आजम खान ने बजरंग अली के नारे लगवाए।
देश में ऐसी राजनीतिक खतरनाक।
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लोकसभा चुनाव के मद्देनजर देश की राजनीति खतरनाक मोड़ पर पहुंच गई है। 12 अप्रैल को सुबह से ही सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेट फार्मों पर पूर्व सैन्य अधिकारियों का एक फर्जी पत्र वायरल हो गया। इस पत्र के आधार पर ही अनेक न्यूज चैनलों ने खबरें चला दी। इतना ही नहीं कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर जमकर हमला बोला। कांग्रेस का कहना रहा कि चुनावी सभाओं में नरेन्द्र मोदी सेना को लेकर जो बयान दे रहे हैं, उससे अब देश के रिटायर सैन्य अधिकारी भी नाराज हैं। असल में इस पत्र में लिखा गया कि पीएम मोदी चुनाव में सेना का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। मोदी को अपने भाषणों में सेना का उपयोग नहीं करना चाहिए। लेकिन इस पत्र की पोल तब खुल गई, जब पूर्व वायु सेना अध्यक्ष एससी सूरी, पूर्व थलसेना अध्यक्ष एसएफ रोर्डिग्स आदि ने पत्र पर हस्ताक्षर होने से इंकार कर दिया। इन सैन्य अधिकारियों का कहना रहा कि उन्होंने राष्ट्रपति को इस मुद्दे पर कोई पत्र नहीं लिखा है। इसी प्रकार राष्ट्रपति भवन में भी पत्र मिलने से इंकार कर दिया। यानि राजनीति में ऐसा गिरोह सक्रिय है जो पूर्व सैन्य अधिकारियों की आड़ लेकर प्रधानमंत्री पर हमला कर रहा है। कांग्रेस को भी यह बताना चाहिए कि फर्जी पत्र के आधार पर प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों की? क्या कांगे्रस देश विरोधी कृत्य में शामिल हैं। इस पूरे घटनाक्रम में कांग्रेस अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती है।
आजम का बजरंग अली :
यूपी में तो सपा नेता और चुनाव के उम्मीदवार आजम खान ने सारी मर्यादाओं को ही तोड़ दिया। एक चुनावी सभा में आजम खान ने अपने समर्थकों से बजरंग अली के नारे लगवाए। आजम भी जानते हैं कि हिन्दुओं में बजरंग बली का अपना धार्मिक महत्व है। कोई भी हिन्दू भगवान हनुमान के प्रति अपशब्द बर्दाश्त नहीं करेगा। लेकिन हिन्दुओं को चिढ़ाने की दृष्टि से आजम ने कहा कि हे बजरंग अली तोड़ दे दुश्मन की नली। हे बजरंग अली ले लो जालीमों की बली। जिस तरह पूर्व सैन्य अधिकारियों का फर्जी पत्र और आजम खान का बजरंग अली वाला नारा सामने आया है, उससे प्रतीत होता है कि देश की राजनीति खतरनाक मोड़ पर पहुंच गई है। देश का अहित करने में कुछ राजनेता कोई मौका चूक नहीं रहे हैं। जब पूर्व सेनाध्यक्षों के नाम से फर्जी पत्र जारी हो सकता है तो तब देश की राजनीति को बहुत समझदारी से चलाने की जरुरत है। माना कि आजम खान की एक तरफा मानसिकता है, लेकिन आजम खान को भी ऐसा कोई कृत्य नहीं करना चाहिए जिससे हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस लगती हो।