झूठ पकड़े जाने के बाद क्या रघु शर्मा मंत्री बने रहने लायक हैं?
ब्लॉग पर राजस्थान पत्रिका ने मुहर लगाई।
2500 भर्तियों का प्रकरण।
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राजस्थान के चिकित्सा विभाग में कम्युनिटी हेल्थ वर्कर के 2500 पदों पर भर्ती के प्रकरण में तब नया मोड आ गया, जब प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा का झूठ पकड़ा गया। 22 जून को भर्तियों में भ्रष्टाचार उजागर हुआ, तब रघु शर्मा ने कहा कि मुझे भर्तियों के बारे में जानकारी नहीं है। रघु का यह कथन अखबारों में छपा और प्रदेश स्तरीय चैनलों में प्रसारित हुआ। रघु ने चैनल वालों को बुलाकर अपनी सफाई दी। लेकिन 22 जून को ही मैंने ब्लॉग संख्या 5667 में साफ-साफ लिखा कि 2500 पदों पर भर्तियों की जानकारी चिकित्सामंत्री रघु शर्मा को थी। यह ब्लॉग आज भी सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेट फार्मों पर उपलब्ध है। हो सकता है तब मेरा यह ब्लॉग रघु शर्मा और उनके समर्थकों का अच्छा न लगा हो, लेकिन अब 24 जून को मेरे ब्लॉग पर राजस्थान पत्रिका अखबार ने मुहर लगा दी है। पत्रिका ने प्रथम पृष्ठ पर आठ कॉलम में खबर प्रकाशित की है, जिसका शीर्षक है चिकित्सा मंत्री बोल रहे हैं झूठ, ट्विटर से सच उजागर। पत्रिका ने इस खबर में बताया है कि गत 17 मई को रघु शर्मा ने ट्वीट कर प्रदेशवासियों को जानकारी दी कि चिकित्सा विभाग से बेरोजगारों के लिए बड़ी खबर। 2500 पदों पर होगी भर्ती। यानि 22 जून को होने वाली परीक्षा की जानकारी रघु शर्मा को 17 मई को ही हो गई थी। जाहिर है कि रघु शर्मा का झूठ पकड़ा गया है। इसलिए अब सवाल उठता है कि क्या रघु शर्मा मंत्री बने रहने लायक हैं? जब केबिनेट स्तर के मंत्री झूठ बोलेंगे तो फिर सरकार की विश्वसनीयता का क्या होगा? रघु शर्मा ने सच बोलने की शपथ ली है, लेकिन जाहिर है कि रघु शर्मा सरेआम झूठ बोलते पकड़े गए हैं। गंभीर बात तो यह है कि 17 मई की रात को ही रघु शर्मा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एमडी डॉ. समित शर्मा के साथ सरकारी खर्चें पर स्ट्वीजरलैंड चले गए। दोनों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से आयोजित सेमीनार में नि:शुल्क दवा योजना पर राजस्थान सरकार का पक्ष रखा। डॉ. समित शर्मा ही 2500 भर्तियों के प्रभारी थे। स्वाभाविक है कि हवाई जहाज से लेकर स्वीट्जरलैंड तक में इन भर्तियों पर दोनों के बीच चर्चा हुई होगी, यहां यह उल्लेखनीय है कि भर्तियों में भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलने के बाद सरकार ने 22 जून को होने वाली परीक्षा को रद्द कर दिया था।
मुख्यमंत्री बेबस:
रघु शर्मा और चिकित्सा महकमें को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी बेबस हैं। रघु शर्मा को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के खेमे का माना जाता है, इसलिए सीएम गहलोत चाहते हुए भी कोई कार्यवाही नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि इस पूरे प्रकरण में सीएम ने रघु शर्मा को बुलाकर बात की है। इस मुलाकात में भी रघु ने स्वयं को पाक साफ बताया। लेकिन अब भर्तियों पर ट्वीट सामने आने के बाद देखना होगा कि सीएम गहलोत अपने चिकित्सा मंत्री के खिलाफ क्या कार्यवाही करते हैं। अलबत्ता चिकित्सा महकमें की वजह से कांग्रेस सरकार की आए दिन छवि खराब हो रही है।