राजस्थान पुलिस के हैड कांस्टेबल अब्दुल गनी की हत्या का जिम्मेदार कौन?
शव के दफन को लेकर विवाद की स्थिति।
सरकार का दावा, भीड़ ने नहीं मारा।
14 जुलाई को पुलिस के आला अधिकारी भीलवाड़ा पुलिस लाइन तक तो सम्मान के साथ शव को लाए लेकिन शव को अब्दुल गनी के घर पहुंचाने के बाद किसी ने भी हालात की सुध नहीं ली। सवाल उठता है कि जब इतनी नाजुक स्थिति बनी हुई थी तो फिर सरकार और प्रशासन के प्रतिनिधि कहां चले गए। जाहिर है कि सरकार इस पूरे मामले को गंभीरता के साथ नहीं ले रही है। परिजन की मांग न्यूज चैनलों पर भी प्रसारित होती रही, लेकिन सरकार के किसी भी मंत्री ने गंभीरता नहीं दिखाई। डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने ट्वीटर पर खेद प्रकट कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर दी। सवाल उठता है कि क्या अपराधियों में पुलिस का भय खत्म हो गया है? जो अब्दुल गनी ड्यूटी पर था उसे यदि इस तरह मार डाला जाएगा तो फिर राजस्थान में कानून व्यवस्था की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। पिछले दिनों झारखंड में रहमत नाम के एक युवक को भी पीट पीट कर मार डाला गया। इस घटना के विरोध में देशभर में प्रदर्शन और मौन जुलूस निकाले गए। राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है और गहलोत भी भीड़तंत्र की निंदा कर चुके हैं। गहलोत ने भी झारखंड की घटना की निंदा की थी, लेकिन जब राजस्थान में 13 जुलाई को हैडकांस्टेबल अब्दुल गनी की हत्या की गई तो सरकार का कहना है कि यह भीड़तंत्र वाला मामला नहीं है। यानि झारखंड और राजस्थान में हुई घटनाओं के मायने अलग अलग हैं। बताया जा रहा है कि अब्दुल गनी की हत्या के सात आरोपियों को चिन्हित कर लिया गया है और जल्द ही गिरफ्तारी होगी। पुलिस के अनुसर कमला देवी ने भीम पुलिस स्टेशन पर नैनादेवी सहित दस लोगों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। इस रिपोर्ट में नैनादेवी के पक्ष वालों पर जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाया। पुलिस का कहना है कि जमीन के इसी मामले में अब्दुल गनी की हत्या की गई।
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