पाकिस्तान को काबू में रखने के लिए डोनाल्ड ट्रंप दे रहे मध्यस्थता का बयान।
यह भारत की कूटनीति भी हो सकती है।
10 सितम्बर को अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड टं्रप का एक बार फिर कश्मीर के मुद्दे पर मध्यस्थता करने का बयान सामने आया है। ट्रंप ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान चाहेंगे तो वे कश्मीर पर मध्यस्थता करने को तैयार हैं। ट्रंप ने यह कथन तब दोहराया है जब पिछले दिनों ट्रंप की मौजूदगी में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि कश्मीर पर हम किसी तीसरे देश को कष्ट नहीं देना चाहते हैं। हमारा आपसी विवाद हम दोनों देश सुलझा लेंगे। असल में यह पहला अवसर नहीं है, जब ट्रंप ने मध्यस्थता की बात कही है। ट्रंप पहले भी ऐसे प्रस्ताव रख चुके हैं। 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटाने के बाद भी ट्रंप ने ऐसा प्र्रस्ताव किया था। इससे पहले भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के अमरीका दौरे के वक्त भी ट्रंप ने मध्यस्थता की बात की थी। तब तो ट्रंप ने यहां तक कह दिया कि भारत के पीएम ने मध्यस्थता का आग्रह किया है। सब जानते हैं कि जम्मू कश्मीर से 370 के प्रावधान हटाने के बाद से ही पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। पिछले 33 दिनों में पांच बार परमाणु हमले की धमकी दे चुका है। पाकिस्तान सरकार ने ऐसा माहौल बनाया कि भारत पर किसी भी वक्त हमला किया जा सकता है। इमरान खान अपने पाकिस्तान की ओर से सेनाध्यक्ष कमर जावेद बाजवा अपने सैनिकों की स्थिति को अच्छी तरह समझते हैं, इसलिए ये दोनों तो हमला नहीं करेंगे, लेकिन पाकिस्तान में जो चरमपंथी बैठे हैं वे कुछ भी कर सकते हैं। 10 सितम्बर को विभिन्न आतंकी संगठनों की बैठक पाकिस्तान में हुई। इस बैठक में भारत के खिलाफ रणनीति बनाई गई। ऐसे माहौल में पाकिस्तान को काबू में रखना जरूरी है। ट्रंप जैसे नेताओं के बयानों से पाकिस्तान को काबू में रखा जा सकता है। पाकिस्तान जैसे देश को खुला और अकेला छोडऩा भी खतरनाक है। माना कि युद्ध होने पर पाकिस्तान को नुकसान होगा, लेकिन पाकिस्तान की नादानी की वजह से भारत को बड़ा नुकसान हो सकता है। अब युद्ध सीमा पर जवान नहीं लड़ेंगे, बल्कि मिसाइल से युद्ध होगा। भारत को जम्मू कश्मीर में जो करना था वो कर दिया, अब पहली प्राथमिकता पाकिस्तान को काबू में रखने की है। भारत की कूटनीति का ही परिणाम है कि कश्मीर पर पाकिस्तान को एक भी मुस्लिम देश का समर्थन नहीं मिला है। इससे भी पाकिस्तान निराश और हताश है। ट्रंप का ताजा बयान भी भारत की कूटनीति का हिस्सा हो सकता है।
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