सचिन पायलट के पहुंचने से पहले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिल्ली में डेरा जमाया।
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Sp mittal
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September 11, 2019
सचिन पायलट के पहुंचने से पहले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिल्ली में डेरा जमाया। राजस्थान में सत्ता और संगठन में खींचतान जारी।
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12 सितम्बर को दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने देश भर के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में राजस्थान के अध्यक्ष सचिन पायलट भी भाग लेंगे। लेकिन पायलट के दिल्ली पहुंचने से पहले 11 सितम्बर को सुबह से ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिल्ली में डेरा जमा लिया है। गहलोत को सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल आदि से मिलने का कार्यक्रम हैं। मौका मिलने पर सोनिया गांधी से भी मुलाकात हो सकती है। गहलोत ने 6 सितम्बर को भी दिल्ली में डेरा जमाया था, लेकिन तब सोनिया गांधी से मुलाकात नहीं हुई। सात सितम्बर को प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने शक्ति प्रदर्शन के तौर पर अपना जन्मदिन धूमधाम से मनाया। असल में राजस्थान में सत्ता और संगठन में जबर्दस्त खींचतान चल रही है। प्रदेशाध्यक्ष के नाते पायलट का संगठन पर तो पूरी तरह कब्जा है ही साथ ही डिप्टी सीएम होने के नाते मंत्रियों में भी गुटबाजी है। हालात इतने खराब है कि अशोक गहलोत मुख्यमंत्री की हैसियत से जो आदेश देते हैं उनकी पालना मंत्री नहीं करते हैं। गहलोत के समर्थक मंत्री और पदाधिकारियों ने सचिन पायलट को निशाना बनाकर एक व्यक्ति एक पद की मांग चला रखी है, वहीं पायलट ने दो टूक शब्दों में कह दिया है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती गांधी कहेंगी तो मैं एक पद छोड़ दूंगा। यानि पायलट ने एक व्यक्ति एक पद की मांग पर सोनिया गांधी को शामिल कर लिया है। सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री गहलोत भी चाहते हैं कि जनवरी में होने वाले पंचायत चुनाव से पहले प्रदेशाध्यक्ष के पद पर स्थायी नियुक्ति हो। पायलट के डिप्टी सीएम बनने के बाद से पायलट को प्रदेशाध्यक्ष के पद पर अस्थायी माना जा रहा है। यह बात प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने भी कही है। सूत्रों की माने तो 12 सितम्बर को सोनिया-पायलट की मुलाकात को ध्यान में रखते हुए ही गहलोत ने 11 सितम्बर को ही दिल्ली में डेरा जमा लिया है। पिछले 9 माह में गहलोत अधिकांश दिन दिल्ली में ही रहे हैं। चाहे सोनिया गांधी के दोबारा अध्यक्ष बनने का मामला हो या फिर राहुल गांधी की नाराजगी। गांधी परिवार और कांग्रेस से जुड़े मामलों में गहलोत दिल्ली में ही नजर आए हैं। अब देखना है कि सचिन पायलट दो पदों पर कब तक बने रहते हैं।