दो हजार 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ने वाले फाइटर प्लेन सुखोई-30 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उड़ान भरी। दुनिया की आधी आबादी का यह सबसे बड़ा सम्मान है।

दुनिया की आधी आबादी यानी महिलाओं को सम्मान देने में 8 अप्रैल को भारत में एक और शानदार ताकतवर पहल हुई है। 8 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने असम के तेजपुर एयरफोर्स स्टेशन से फाइटर प्लेन सुखोई 30 एमकेआई में उड़ान भरी। यह पहले 56 हजार 800 फीट ऊंचाई पर दो हजार 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ता है। चूंकि यह फाइटर प्लेन है, इसलिए प्रशिक्षित सैन्य पायलट ही उपयोग करते हैं। लेकिन 8 अप्रैल को द्रौपदी मुर्मू ने प्लेन में को-पायलट की भूमिका निभाते हुए अपनी सैन्य अंदाज का परिचय दिया। द्रौपदी मुर्मू पहली भारतीय महिला है जिन्होंने इस विमान में उड़ान भरी है। राष्ट्रपति के नाते मुर्मू भारतीय सेना के तीनों विंगों की सुप्रीम कमांडर भी है। इसलिए इस उड़ान से सैनिकों खासकर महिला सैनिकों की भी हौसला अफजाई हुई है। 8 अप्रैल को सुखोई ने उड़ान भरने से पहले मुर्मू ने सैन्य पोशाक पहनी और सैन्य अंदाज में ही प्लेन में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई, जब प्लेन टेकऑफ हुआ तो मुर्मू ने हाथ हिला कर सभी का अभिनंदन भी किया। सब जानते हैं कि द्रौपदी मुर्मू आदिवासी महिलाएं हैं। एक दिन पहले ही मुर्मू ने कहा था कि उनके लिए 62 वर्ष की उम्र पूरी करना एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि अधिकांश आदिवासी महिलाएं इस उम्र में रोग ग्रस्त या फिर मृत्यु को प्राप्त करती है। आज जब मुर्मू को आसमान में फाइटर प्लेन में देखा गया तो तब आदिवासी क्षेत्र की करोड़ों महिलाओं का सिर भी गर्व से ऊंचा हुआ। 
S.P.MITTAL BLOGGER (08-04-2023)
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