रोडवेज के 4 हजार रिटायर कर्मचारी भी चुनाव में वसुंधरा सरकार को सबक सिखाएंगे। भूखों मरने की नौबत। 700 करोड़ रुपए बकाया।

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राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम (रोडवेज) से सेवानिवृत्त 4 हजार के परिवार अब भूखों मरने की स्थिति में हैं। यही वजह है कि इन रिटायर कर्मचारियों ने आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य की वसुंधरा राजे सरकार को सबक सिखाने का निर्णय लिया है। इतना ही नहीं चुनाव के समय रिटायर कर्मचारी अपने अपने क्षेत्र की कॉलोनियों में भी जाकर सरकार की करतूतों के बारे में बताएंगे। रोडवेज की सेवानिवृत्त कर्मचारियों की एसोसिएशन के प्रवक्ता गिरधारी कुमावत ने बताया कि 2014 से जब से वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री बनी हैं, तब से रिटायर होने वाले रोडवेज कर्मियों को ग्रेच्यूटी, उपार्जित अवकाश की राशि, ओवर टाइम आदि भुगतान नहीं हुआ। सेवा निवृत्ति पर एक रुपया भी नहीं मिलने से परिवार की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। जहां तक रोडवेज के घाटे का सवाल है तो सत्ता में बैठे नेता ही जिम्मेदार है। कमाई वाले मार्गों पर नेताओं और अफसरों की बसें ही चलती है। जब रोडवेज सरकार का उपक्रम हैं तो फिर बकाया भुगतान की जिम्मेदारी सरकार की है। जो कर्मचारी हाईकोर्ट से आदेश ले आता है उसे तो भुगतान कर दिया जाता है। यानि सरकार सिर्फ हाईकोर्ट के डंडे की भाषा ही समझती है। हम लोकतंत्र में विश्वास करते हैं, इसलिए चुनाव में ही सबक सिखाएंगे। कर्मचारियों के पैसे रोकने का अधिकार सरकार को नहीं है। सरकार गरीब कर्मचारियों के हक के पैसे डाका डाले बैठी है। सैकड़ों कर्मचारियों को अपनी पुत्री विवाह करना है तो अनेक को मकान बनाना है। कुछ कर्मचारी अपने बेरोजगार बेटे को दुकान खुलवाना चाहते हैं। सभी को रिटायरमेंट पर मिलने वाले पैसे पर उम्मीद थी; सरकार ने कर्मचारियों को रिटायर तो कर दिया, लेकिन उनके हक का पैसा नहीं दिया। एक कर्मचारी का करीब 18 लाख रुपए बकाया है। रोडवेज में प्रति वर्ष 1500 कर्मचारी रिटायर हो जाते हैं। ऐसे रिटायर कर्मचारियों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
सुन नहीं रही सरकार:
कर्मचारियों का आरोप है कि कई बार आंदोलन करने के बाद भी वसुंधरा सरकार पर कोई असर नहीं हुआ है। सरकार किसी आंदोलन की परवाह नहीं करती है। परिवहन मंत्री यूनुस खान ने तो रोडवेज का भट्टा ही बैठा दिया है। खान के दखल से ही रोडवेज में निजीकरण और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला है। यूनुस खान ही मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को गुमराह करते हैं। खान की अडं़गेबाजी से ही कर्मचारी वसुंधरा राजे से मिल नहीं पाते। चुनाव में रिटायर कर्मचारी यूनुस खान के नागौर के निर्वाचन क्षेत्र में भी सक्रिय रहेंगे।

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