मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के फार्म अजमेर जिले में भी भरना शुरू। तीन तलाक के मुद्दे पर मुस्लिम लड़कियों और औरतों ने दी सहमति।
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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के देशव्यापी अभियान के अंतर्गत 16 अक्टूबर से अजमेर जिले में भी सिविल कोड और तीन तलाक के मुद्दे पर फार्म भरवाने का काम शुरू हो गया है। बोर्ड के प्रतिनिधियों ने ऊंटड़ा, रसूलपुरा आदि गांवों में कैम्प लगा कर मुस्लिम लड़कियों और औरतों से फार्म पर हस्ताक्षर करवाए हैं। इस फार्म पर उर्दू, अंग्रेजी और हिन्दी में लिखा गया है कि हम मुस्लिम महिलाएं हमारे धर्म के अनुरूप शरिया कानून के तहत जीवन गुजारना चाहती हैं। शरिया कानून में तीन तलाक की जो व्यवस्था कर रखी है, उसे हम स्वीकार करती हैं। इन औरतों की ओर से यह भी कहा गया है कि भारत में संविधान के मुताबिक हर व्यक्ति को अपने धर्म के अनुरूप रहने की आजादी है। इसलिए सिविल कोड स्वीकार नहीं है। मुस्लिम औरतों ने स्वयं को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ बताया।
टीवी चैनलों और अखबारों में भले ही तीन तलाक से पीडि़त मुस्लिम महिलाओं की कहानियां दिखाई जा रही हो, लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कैम्पों में पर्दा नशीन मुस्लिम औरतों की लाइन लगी हुई है। इसमें विवाहित महिलाएं ही नहीं, बल्कि 15 वर्ष से अधिक उम्र की मुस्लिम लड़कियां भी शामिल हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे मदरसों से जुड़े शिक्षक और प्रतिनिधि इन फार्मों को भरवाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। मालूम हो कि कुछ मुस्लिम महिलाओं ने ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर तीन तलाक की प्रथा पर रोक लगाने की मांग की थी। इस पर केन्द्र सरकार ने भी एक हलफनामा दायर कर माना कि तीन तलाक की प्रथा महिलाओं में भेदभाव करती है। केन्द्र सरकार के हलफनामे के बाद ही मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने देशभर में हस्ताक्षर अभियान चलाया है। अब बोर्ड भी सुप्रीम कोर्ट में पक्षकार बन कर यह बताएगा कि अधिकांश मुस्लिम औरते हमारे शरिया कानून में दखल के खिलाफ हैं।
(एस.पी. मित्तल) (16-10-2016)
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