पिता की तपस्या पर उत्सव मना रहे हैं एडीजे अजय शर्मा। =

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इन दिनों अदालतों में शीतकालीन अवकाश है। अधिकांश न्यायिक अधिकारी अवकाश का लुत्फ उठाने के लिए पर्यटन स्थलों पर गए हुए हैं। लेकिन राजस्थान के 12 उपखंड में तैनात अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अजय शर्मा अजमेर में अपने 90 वर्षीय पिता की तपस्या का उत्सव मना रहे हैं। इस चार दिवस उत्सव की शुरुआत 29 दिसम्बर को एडीजे शर्मा ने हवन के साथ की। इन चार दिनों में नानीबाई का मायरा, अमृत वाणी, सुंदर कांड, संतों की शोभायात्रा, प्रवचन आदि होंगे। उत्सव का समापन 1 जनवरी को दोपहर 1 बजे महा प्रसादी के साथ होगा। अजमेर के वैशाली नगर स्थित होटल मानसिंह के निकट जो आवास और भूखंड है उसे ही शर्मा ने तपस्वी भवन का नाम दिया है। अपने पिता की इच्छा का सम्मान करते हुए ही शर्मा समाज में उल्लेखनीय काम करने वाले को भी सम्मानित करेंगे। चूंकि शर्मा अजमेर में ही वकील रहे। इसलिए अन्य लोगों के साथ-साथ मेरी भी मित्रता है। 29 दिसम्बर को तपस्या भवन पहुंच कर मैंने अजय शर्मा के पिता वैद्य रमाशंकर शर्मा से न केवल आशीर्वाद लिया, बल्कि उनके जीवन के बारे में भी जाना। वैद्य जी की उम्र भले ही 90 वर्ष की हो, लेकिन उनकी याददाशत आज भी ताजा है। उन्हें वेद शास्त्रों का भी जबरदस्त ज्ञान है। मेरी जिज्ञासा और उत्सुकता देखते हुए वैद्य जी ने कहा कि इस संसार में जो दिखता है, वह सच होता नहीं है। उन्होंने अपने जीवन में अनेक उतार चढ़ाव देखे हैं। ये रिश्ते नाते सिर्फ नाम के होते हैं। लेकिन ईश्वर कृपा से मुझे संतोष धन प्राप्त हो गया है। इसलिए अब मेरा मन ईश्वर के भजनों में ही लगता है। मैंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से शुरू किया था। मैं चाहता था कि संघ का प्रचारक बनकर देश और समाज की सेवा करूं। समाज सेवा की जिद्द की वजह से मुझे तीन माह बेवजह जेल में भी रहना पड़ा। बाद में जो हालात बदले, उसमें मुझे नौकरी भी करनी पड़ी। उस समय रेलवे में 50 रुपए वेतन और 50 रुपए का मंहगाई भत्ता मिलता था। चूंकि मुझे आयुर्वेद का ज्ञान था, इसलिए मैंने नौकरी में भी लोगों की नि:शुल्क चिकित्सा की। वर्ष 1990 में सेवानिवृत्त बाद से ही मैं दिन भर ईश्वर के भजन कर अपना जीवन गुजार रहा हंू। मुझे इस बात की खुशी है कि मेरा होनकार पुत्र मेरी तपस्या पर उत्सव मना रहा है। मुझ भले ही 50 रुपए का मासिक वेतन मिलता हो, लेकिन आज सरकार मुझे 21 हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन दे रही है। इसके लिए में सरकार का भी आभारी हंू। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि सभी पुत्रों के मन में माता-पिता की सेवा करने का भाव बना रहे। वहीं एडीजे शर्मा का कहना रहा कि उनकी सफलता के पीछे पिता का ही आशीर्वाद है।
(एस.पी.मित्तल) (29-12-16)
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