संसदीय सचिव सुरेश रावत ने पहले दिन किया कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन, तो दो दिन बाद कलेक्टर के साथ बैठकर की जनसुनवाई। इसे कहते है वोट की राजनीति।

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इसमें कोई दो राय नहीं कि अजमेर जिले के पुष्कर क्षेत्र के भाजपा विधायक और संसदीय सचिव सुरेश सिंह रावत इन दिनों सोच समझ कर राजनीति कर रहे है। 16 जनवरी को रावत ने सरकार के संसदीय सचिव के पद को दूर रखते हुए कलेक्ट्रेट के बाहर प्रदर्शन किया। रावत उन प्रदर्शनकारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे जो जयपुर रोड को चौड़ा करने का विरोध कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि जिला प्रशासन जयपुर रोड को सिक्स लेन करने के लिए बड़े पैमाने पर तोडफ़ोड़ करने जा रहा है। चूंकि जयपुर रोड का बड़ा क्षेत्र पुष्कर विधानसभा में आता है, इसलिए रावत भी कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन के दौरान पहुंच गए। 16 जनवरी को रावत कलेक्ट्रेट के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे तो 19 जनवरी को कलेक्ट्रेट के अंदर जिला कलेक्टर गौरव गोयल के साथ बैठकर जनसुनवाई कर रहे थे। राज्य सरकार ने जिला स्तर पर जनसुनवाई के लिए संसदीय सचिवों को भी जिम्मेदारी दी गई। सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरुप ही कलेक्टर गोयल ने सुरेश रावत को जनसुनवाई के लिए बुलाया। यह बात अलग है कि 19 जनवरी को रावत ने जयपुर रोड को चौड़ा करने पर कोई निर्णय नहीं दिया। असल में इसे वोट की राजनीति ही कहा जाएगा कि सुरेश रावत पहले कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन करते है तो अगले ही दिन सरकार के प्रतिनिधि बनकर समस्याओं का समाधान। रावत भी अच्छी तरह जानते है कि सिक्स लेन का काम होगा ही, लेकिन अपने मतदाताओं के सामने रावत ने यह प्रदर्शित कर दिया कि संसदीय सचिव होने के बावजूद वे पहले अपने क्षेत्र के लोगों के साथ है।
(एस.पी.मित्तल) (20-01-17)
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