जातियों के आधार पर नहीं जरूरतमंदों को मिलना चाहिए आरक्षण। पद्मावती फिल्म पर कोई समझौता नहीं करेगी करणी सेना। =======================
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जातियों के आधार पर नहीं जरूरतमंदों को मिलना चाहिए आरक्षण। पद्मावती फिल्म पर कोई समझौता नहीं करेगी करणी सेना।
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6 फरवरी को श्री राजपूत करणी सेना के संरक्षक लोकेन्द्र सिंह कालवी ने अजमेर में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश और प्रदेश में जातियों के आधार पर आरक्षण नहीं होना चाहिए। अब समय आ गया है जब आरक्षण का लाभ जरूरतमंदों को मिले। गत वर्ष राजस्थान के नागौर जिले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय स्तर की एक बैठक हुई थी। इस बैठक में भी आरक्षण की समीक्षा किए जाने की बात कही गई। संघ की यह सोच सकारात्मक है। आरक्षण की वजह से आज देश के जो हालात हो गए हैं, उसमें कम से कम समीक्षा तो होनी चाहिए। आज आरक्षण का लाभ ऐसी जातियां ले रही हैं, जो आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से मजबूत है। आजादी के बाद से ही विशेष जातियों को आरक्षण का लाभ मिल रहा है, लेकिन फिर भी ऐसी जातियों के लोगों का पिछड़ापन दूर नहीं हुआ है। इसकी यही वजह है कि ऐसे वर्गों के चुनिंदा लोग ही आरक्षण का लाभ ले रहे हैं। कम से कम सरकार को यह तो करना ही चाहिए कि जिस परिवार को एक बार लाभ मिल गया, उस परिवार के दूसरे सदस्य को नहीं मिले। आज देश का यह दुर्भाग्य है कि जाति के कारण एक ही परिवार के सभी सदस्य लाभ ले रहे हैं जबकि दूसरी जाति के परिवार के एक भी सदस्य की नौकरी नहीं लगी है जबकि ऐसा परिवार आर्थिक दृष्टि से बेहद कमजोर है। कालवी ने कहा कि आरक्षण की वजह से समाज में भेदभाव की खाई गहरी होती जा रही है। आरक्षण का लाभ लेकर आईएएस और आईपीएस बने माता-पिता के बच्चे चालीस प्रतिशत अंक लाने पर भी उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश पा रहे हंै और दूसरी जाति के परचूनी की दुकान चलाने वाले गरीब व्यक्ति का बच्चा 90 प्रतिशत अंक लाने के बाद भी प्रवेश से वंचित है। कालवी ने मांग की कि आर्थिक आधार पर आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए।
कालवी ने कहा कि चित्तौड़ की रानी पद्मावती पर बनने वाली फिल्म को लेकर करणी सेना फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली के साथ कोई समझौता नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि जो इतिहास खून से लिखा गया गया है उसे हम काली स्याही से मिटने नहीं देगें। करणी सेना पद्मावती के नाम पर फिल्म बनाने के सख्त खिलाफ है। पद्मावती ने एक आक्रमणकारी मुस्लिम शासक से बचने के लिए स्वयं को अग्नि को समर्पित कर दिया था। हम नहीं चाहते हैं कि देश के इस इतिहास को फिल्मी पर्दें पर बेचा जाए। हमें निर्माता भंसाली के किसी भी वायदे पर भरोसा नहीं है। इसलिए यदि कोई फिल्म बनती है तो उसे पहले इतिहासकार, लेखक, बुद्धिजीवी, पत्रकार आदि वर्गों के लोगों की कमेटी देखें। यदि ऐसी फिल्म में इतिहास के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है तो उसे रिलीज करने पर विचार किया जाए। उन्होंने उम्मीद जताई कि निर्माता भंसाली ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिसकी वजह से रानी पद्मावती की वीरता पर अंगुली उठे।
(एस.पी.मित्तल) (21-01-17)
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