तो इसलिए ही कोटा में खुदकुशी करते हैं छात्र।आईआईटी और जेईई में कोटा फिर अव्वल।

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तो इसलिए ही कोटा में खुदकुशी करते हैं छात्र।आईआईटी और जेईई में कोटा फिर अव्वल।
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27 अप्रैल को आईआईटी और जेईई मैन की परीक्षा के परिणाम घोषित हो गए। परिणाम की घोषणा के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में यह प्रचारित करवाया जा रहा है कि देशभर में राजस्थान के कोटा के विद्यार्थियों ने बाजी मारी है। इसके पीछे कोटा में कोचिंग सेंटर चलाने वाले मालिकों की व्यावसायिक भूमिका है। सवाल उठता है कि जिन विद्यार्थियों का चयन आईआईटी और जेईई की परीक्षा में हुआ है, क्या वे किसी सरकारी शिक्षण संस्थान में अध्ययनरत हैं। सब जानते हैं कि जो धंधेबाज कोटा में कोचिंग सेंटर चलाते हैं उन्हीं का यह षडय़ंत्र है। ताकि नए सत्र में देशभर से और अधिक बच्चों को कोटा लाया जा सके। एक अनुमान के मुताबिक कोटा में देशभर के कोई दो लाख बच्चे कोचिंग के लिए आते हैं। सवाल है कि क्या इन सभी बच्चों का चयन हो जाता है? मुश्किल से दो या तीन प्रतिशत बच्चों का चयन होता है, लेकिन कोचिंग सेंटरों के मालिकों ने ऐसा प्रचार कर रखा है कि जो बच्चा कोटा आकर पढ़ेगा, उसी का चयन होगा। जबकि अभिभावक जानते हैं कि कोटा के कोचिंग सेंटरों में किस तरह से लूट होती है। भ्रम जाल में फंसकर गरीब अभिभावक भी अपने बच्चों को कोचिंग के लिए कोटा भेजते हैं और जब मध्यमवर्गीय व गरीब परिवार का बच्चा कोचिंग सेंटरों के कड़े मापदंडों पर खरा नहीं उतरता है तो फिर वह खुदखुशी ही करता है। सरकार को भी पता है कि कोचिंग सेंटर वाले नाम मात्र की स्कूलों में बच्चों को प्रवेश दिलवा देते हैं, जबकि ऐसे बच्चे कोटा के कोचिंग सेंटरों में ही पढ़ते हैं। यानि बच्चे पर 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने का भी मानसिक दबाव होता है। अच्छा हो कि कोचिंग सेंटरों और मीडिया को यह बताना चाहिए कि कोटा के 2 लाख बच्चों में से मात्र कितने बच्चे परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं। अभिवावकों को यह भी समझना चाहिए कि उनका बच्चा कोटा के बजाए अपने शहर में भी पढ़ाई कर उत्तीर्ण हो सकता है।
(एस.पी.मित्तल) (27-04-17)
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