तो भाजपा न आरक्षण की विरोधी है न दलितों की। 2019 का ख्याल रखते हुए कोविंद को बनाया उम्मीदवार। =================

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रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित कर भाजपा ने साफ कर दिया है कि वह न तो आरक्षण के खिलाफ है और न ही दलितों के। इतना ही नहीं 2019 में होने वाले लोकसभा के चुनाव में भी भाजपा ने अपनी जीत को सुनिश्चित करने की कोशिश की है। अब विपक्षी दल कोविंद की उम्मीदवारी पर कितनी भी चिल्ल-पों कर लें, लेकिन नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ने वो ही किया है जो राजनीति में जायज होता है। राहुल गांधी लगातार यह आरोप लगाते रहे कि मोदी सरकार गरीबों की नहीं, धनवानों की है। यहां तक कहा गया कि मोदी भारत को कांग्रेस मुक्त नहीं बल्कि दलित मुक्त बनाना चाहते हैंं। सवाल उठता है कि अब जब कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना दिया तो फिर विपक्ष भाजपा के निर्णय का विरोध क्यों कर रहा है? कल्पना कीजिए यदि किसी स्वर्ण जाति के व्यक्ति को उम्मीदवार घोषित कर दिया जाता तो कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल भाजपा को दलित विरोधी करार देने में कोई कसर नहीं छोड़ते। कोविंद की उम्मीदवारी से मोदी सरकार ने यह भी साफ कर दिया है अब इस देश से आरक्षण व्यवस्था को हटाया नहीं जाएगा। आरक्षण व्यवस्था के सबसे पक्षधर व्यक्ति को ही देश का मुखिया बनाया जा रहा है। 20 जून को यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव ने भी कोविंद की उम्मीदवारी का समर्थन कर विपक्ष में और बिखराव कर दिया है। मायावती, नीतिश कुमार जैसे नेता भी पहले ही सकारात्मक रूख जाहिर कर चुके हैं।
(एस.पी.मित्तल) (20-06-17)
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