अमितशाह के आने से पहले निपट गया आनंदपाल के एनकाउंटर का विवाद। सीबीआई जांच के लिए राज्य सरकार करेगी अनुशंषा।

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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के जयपुर आने से दो दिन पहले ही 18 जुलाई को गैंगस्टर आनंदपाल के एनकाउंटर का विवाद समाप्त हो गया है। जो राज्य सरकार कल तक आनंदपाल के एनकाउंटर की जांच सीबीआई से नहीं करने पर अड़ी हुई थी, उसने आज 18 जुलाई को राजपूत समाज के प्रतिनिधियों को यह लिख कर दे दिया कि एनकाउंटर मामले में दर्ज दो एफआईआर की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंषा कर दी जाएगी। इसके साथ ही अन्य छोटी-छोटी मांग को पूरा करते हुए सरकार की ओर से भरोसा दिलाया गया की हिंसा में शामिल किसी के भी खिलाफ द्वेषतापूर्ण कार्यवाही नहीं की जाएगी। मुकदमों में जो नामजद हैं उनकी गिरफ्तारी नहीं होगी तथा जो जेल में बंद हैं उनकी जमानत में सरकार पूरी मदद करेगी। आनंदपाल की बेटी चीनू यदि दुबई से नागौर आती है तो उसके विरुद्ध भी कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी। 18 जुलाई को सुबह से ही राजपूत समाज के प्रतिनिधियों और सरकार के मंत्रियों के बीच वार्ता शुरू हो गई थी। वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने ऐसा दिखाया जैसे कोई विवाद था ही नहीं। भले ही गैंगस्टर आनंदपाल का शव बीस दिनों तक पड़ा रहा हो, लेकिन दोनों पक्षों ने कहा कि अब कोई विवाद नहीं रहा। राजपूत समाज के नेता लोटवाड़ा ने यहां तक कहा कि हमने संघर्ष समिति भी समाप्त कर दी है। उन्होंने सरकार के सकारात्मक रुख की बार-बार प्रशंसा की। लोटवाड़ा ने कहा कि सरकार 12 जुलाई को ही सीबीआई जांच कराने पर सहमत थी, लेकिन नागौर के सांवराद गांव में हुई सभा के दौरान हिंसा हो जाने की वजह से वार्ता टूट गई। लोटवाड़ा ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का भी आभार प्रकट किया। असल में राजपूत समाज से समझौता करने के लिए राज्य सरकार ने पूरी ताकत लगा दी थी। राजपूत मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़, पुष्पेन्द्र सिंह, गजेन्द्र सिंह खींवसर, राव राजेन्द्र सिंह से लेकर राजपूत विधायकों तक को आंदोलन समाप्त करवाने में लगा दिया। एक-एक राजपूत नेता से सम्पर्क साध कर आखिर आंदोलन को समाप्त करवा ही दिया गया। सरकार के लिए वाकई यह उपलब्धि है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के आने से पहले मामले को निपटा दिया। अमित शाह 21 जुलाई से दो दिवसीय दौरे पर जयपुर आ रहे हैं।
अब सीबीआई लेगी निर्णय
भले ही राज्य सरकार अनुशंषा कर रही हो, लेकिन गैंगस्टर आनंदपाल के एनकाउंटर की जांच सीबीआई करेगी या नहीं, इसका निर्णय सीबीआई के उच्च अधिकारी लेंगे। कई बार ऐसा भी हुआ है किसी राज्य सरकार की अनुशंषा को सीबीआई ने नहीं माना। सब जानते हैं कि आनंदपाल के 24 जून के एनकाउंटर को सही साबित करने में सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है।
हिंसा और लोगों की परेशानी का क्या?
आनंदपाल के मुद्दे पर भले ही राज्य सरकार और राजपूत समाज गदगद हो, लेकिन सवाल उठता है कि पिछले 25 दिनों में जो हिंसा हुई और आम लोग परेशान हुए, उसका क्या होगा? चार रोडवेज की बसों, दर्जनों वाहनों को सरेआम जलाया गया। रेलवे स्टेशन पर जमकर तोडफ़ोड की गई। कई लोगों मारे गए और अनेक जख्मी हुए। सड़क और रेल यातायात भी बाधित हुआ। क्या आम लोगों को हुई परेशानी की ओर भी सरकार ध्यान देगी?
एस.पी.मित्तल) (18-07-17)
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