इसलिए तो सत्ता का हलवा खाने से वंचित रहे सांसद सांवरलाल जाट। इस बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थिति में पड़ा दिल का दौरा। ===========

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22 जुलाई को जयपुर में जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह राजस्थान की भाजपा सरकार और संगठन के कामकाज का जायजा ले रहे थे कि तभी सभागार में मौजूद अजमेर के भाजपा सांसद सांवरलाल जाट को दिल का दौरा पड़ा। बेहोश जाट को तत्काल एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया। जाट की सांस टूटे नहीं, इसलिए अस्पताल में उनकी छाती को जोर-जोर से दबाया गया। दिल के दौरे की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी अस्पताल पहुंचीं। इलाज से निश्चित होने के बाद ही मुख्यमंत्री वापस भाजपा के प्रदेश कार्यालय में आईं। चिकित्सकों का कहना है कि अब जाट की स्थिति खतरे से बाहर है। लेकिन चिकित्सकों ने जाट को पूरी तरह आराम करने की सलाह दी है। जाट को अभी भी वेंटिलेटर पर रखा गया है। शाम को अमितशाह भी जाट की कुशलक्षेम जानने के लिए अस्पताल पहुंचे। शाह ने भी जाट को भरोसा दिलाया कि पूरी पार्टी उनके साथ खड़ी है। शाह ने जाट से कहा कि वे अपने दिमाग में कोई तनाव नहीं रखें।
पहले भी बिगड़ी है तबीयत:
22 जुलाई को ऐसा पहली बार नहीं हुआ, जब अचानक सांसद जाट को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। इससे पहले भी कई बार विपरित परिस्थितियों में जाट को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। जाट जब केन्द्र मं जल संसाधन राज्यमंत्री थे, तभी भी कई बार जाट को अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया। जाट के स्वास्थ की वजह से ही उन्हें केन्द्रीय मंत्रिमंडल से त्याग पत्र देना पड़ा था। इसे एक संयोग ही कहा जाएगा कि गत वर्ष जाट ने दिल्ली में अमित शाह के निवास पर जाकर ही अपना त्याग पत्र दिया था। हालांकि केन्द्रीय मंत्रिमंडल से हटने के बाद जाट को राजस्थान किसान आयोग का अध्यक्ष बना कर मंत्री स्तर की सुविधाएं दी गई।
सत्ता का हलवा:
गत वर्ष जब जाट ने केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया, तब जाट ने राजस्थान पत्रिका को एक इंटरव्यू दिया था। इस इंटरव्यू में जाट ने कहा कि मैं तो हलवा खाना बहुत चाहता हंू, लेकिन खाऊ कैसे? जाट का कहना रहा कि मैं तो केन्द्र मं मंत्री बना रहना चाहता था, लेकिन स्वास्थ खराब होने की वजह से इस्तीफा देना पड़ा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि सांवरलाल जाट भाजपा में एक दमदार राजनेता हैं। जाट का रुतबा जाट समुदाय में ही नहीं बल्कि अन्य जातियों में भी है। अजमेर में जाट की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने गत लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट को कोई एक लाख मतों से हराया। यह बात अलग है कि बाद में जाट के नसीराबाद विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार श्रीमती सरिता गैना को हार का सामना पड़ा। जाट राजनीति के पुराने खिलाड़ी रहे हैं। स्वर्गीय भैरोसिंह शेखावत की सरकार को बचाने के लिए अपने लोकदल में दो फाड़ करवाए, लेकिन इसके बाद से जाट भाजपा के साथ ही है।
बेटा भी है सक्रिय:
सांवरलाल जाट के प्रतिकूल स्वास्थ की वजह से उनके पुत्र रामस्वरूप लाम्बा भी पिछले कुछ वर्ष से राजनीति में सक्रिय हैं। नसीराबाद के उपचुनाव में जाट ने लाम्बा को टिकट दिलवाने का प्रयास भी किया था। लाम्बा को ही जाट की राजनीतिक विरासत का उत्तराधिकारी मना जा रहा है।
एस.पी.मित्तल) (22-07-17)
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