तो अब अजमेर जिले में नहीं रहेगी कोई समस्या। सीएम वसुंधरा राजे का विधानसभा वार जन संवाद पूरा। ======
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राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने धनतेरस के पर्व 17 अक्टूबर को अजमेर जिले के नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र में जन संवाद किया। इसके साथ ही सीएम का जिले के सभी सात विधानसभा क्षेत्रों में जन संवाद का दौर पूरा हो गया। सीएम राजे एक विधानसभा क्षेत्र में लगातार दस घंटे जन संवाद कर रही हैं। इस जन संवाद में दो हजार से लेकर तीन हजार तक लोग मिल रहे हैं। स्वाभाविक है कि एक विधानसभा क्षेत्र में इतनी बड़ी संख्या में लोगों के मिलने पर अजमेर जिले में कोई समस्या नहीं रहेगी। सरकारी प्रचार में यह दावा किया जा रहा है कि सीएम राजे हाथों हाथ समस्याओं का समाधान कर रही हैं। सीएम के साथ जन संवाद में जिला कलेक्टर और संबंधित विभागों के प्रमुख भी होते हैं। सीएम यह सारी कवायद लोकसभा के उपचुनाव के मद्देनजर कर रही हैं। संभवतः यह पहला अवसर है जब सीएम स्तर पर विधानसभा वार जन संवाद हो रहा है। इस जन संवाद का भाजपा को उपचुनाव में कितना फायदा होगा, यह तो उपचुनाव का परिणाम ही बताएगा, लेकिन सीएम के इर्द-गिर्द लगे लोगों ने जन संवाद में भी सीएम के सामने भ्रम जाल फैलाए रखा। इसका सबसे बड़ा उदाहरण 16 अक्टूबर को अजमेर के विजय लक्ष्मी पार्क में अन्नपूर्णा रसोई के वाहन के लोकार्पण समारोह में देखने को मिला। पार्क में सीएम का जो समारोह हुआ उसमें सफाई कर्मचारियों को लाकर बैठाया गया। यानि इस सार्वजनिक समारोह में आमजन की उपस्थिति ही नहीं रही। यह सब उन लोगों ने किया जो सीएम राजे के इर्द-गिर्द चिपके हुए हैं। ऐसे ही लोग प्रचार माध्यमों में भी कोई नकारात्मक बात सामने नहीं आने देते। चूंकि इन्हीें लोगों के पास अखबारों और चैनलों को विज्ञापन देने का अधिकार है इसलिए इन्हीं के इशारे पर खबरों को जनता के सामने परोसा जाता है। भले ही सीएम ने जिले के सात विधानसभा क्षेत्रों में सात दिनों में जन संवाद कर लिया हो, लेकिन सब जानते हैं कि सीएम के सामने वो ही लोग उपस्थित हुए, जिनकी सिफारिश भाजपा के क्षेत्रीय विधायक ने की। अब जब आमजन के नाम पर कोई विधायक अपने समर्थकों को लाएगा, तो फिर विरोध तो होगा ही नहीं। सीएम को खुश करने के लिए विधायकों ने तलवार से लेकर सौ-सौ किलो की माला तक पहनाई। सीएम भले ही इस बात से संतुष्ट हों लें कि उन्होंने विधानसभा वार जन संवाद कर लिया है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र पांच घंटे बिजली मिल रही है और छोटे छोटे कार्य करवाने के लिए भी सरकारी कारिंदों को रिश्वत देनी पड़ती है। स्थानीय निकाय संस्थाओं में तो जबरदस्त भ्रष्टाचार फैला हुआ है। खुद विधायक भी अपने क्षेत्र के लोगों से अच्छा व्यवहार नहीं करते। भले ही सीएम के सामने ऐसे विधायक मिमियाते दिखे हो, लेकिन आम लोगों के सामने विधायकों का व्यवहार बेहद ही खराब होता है।
एस.पी.मित्तल) (17-10-17)
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