रेयान स्कूल की घटना से अभिभावक सबक लें। बच्चों पर देना होगा विशेष ध्यान। मासूम प्रद्युम्न की हत्या में अब 11वीं कक्षा का विद्यार्थी गिरफ्तार।
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रेयान स्कूल की घटना से अभिभावक सबक लें। बच्चों पर देना होगा विशेष ध्यान। मासूम प्रद्युम्न की हत्या में अब 11वीं कक्षा का विद्यार्थी गिरफ्तार।
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गाजियाबाद के रेयान स्कूल के प्रद्युम्न मर्डर केस में 8 नवम्बर को सीबीआई ने इसी स्कूल के 11वीं कक्षा के एक नाबालिग छात्र को गिरफ्तार किया है। सीबीआई का कहना है कि आरोपी छात्र ने परीक्षा और स्कूल की पेरेंट्स टीचर मीटिंग को टालने के लिए प्रद्युम्न की हत्या कर दी। यह छात्र नहीं चाहता था कि उसके माता-पिता स्कल में आकर उसके शिक्षकों से मिले। सीबीआई की जांच आगे भी जारी रहेगी, लेकिन रेयान स्कूल की इस घटना से अभिभावकों को सबक लेना चाहिए। हमें 11वीं कक्षा में पढ़ने वाले आरोपी छात्र की मानसिक स्थिति का भी अध्ययन करना चाहिए जो छात्र मात्र 16 वर्ष का है और 11वीं कक्षा में पढ़ रहा है। क्या वह अपने से छोटे छात्र की हत्या कर सकता है? सीबीआई का कहना है कि यह छात्र पिछले कई दिनों से अपने बैग में चाकू लेकर स्कूल आ रहा था। यानि चाकू स्कूल बैग में घर और स्कूल दोनों में रखा रहा। क्या घर पर अभिभावकों और स्कूल में शिक्षकों को चाकू के बारे में पता नहीं चला? यह माना कि स्कूल के शिक्षकों से ज्यादा अभिभावकों की जिम्मेदारी है। रेयान जैसे पब्लिक स्कूलों में एक कक्षा में 50 से भी ज्यादा बच्चों को रखा जाता है। ऐसे में एक शिक्षक 50 या उससे अधिक बच्चों पर नजर नहीं रख सकता, लेकिन माता-पिता तो अपने दो-तीन बच्चों पर नजर रख ही सकते हैं। लेकिन आज कल जिस तरह से पैसा कमाने की धुन सवार है उसमें माता-पिता खासकर महानगरों में रहने वाले मम्मी-डैडी बच्चों पर ध्यान नहीं देते हैं। जिन घरों में माता-पिता दोनों ही नौकरी करते हैं। उसमें तो बच्चों की देखभाल नौकर अथवा आस-पड़ौस के लोग करते हैं। यदि रेयान स्कल के 11वीं कक्षा के छात्र की अपने घर पर देखभाल होती तो शायद प्रद्युम्न को मौत के मुंह में नहीं जाना पड़ता। अब आरोपी छात्र का भविष्य भी अंधेरे में हो गया है। रेयान स्कूल की घटना से सबक लेकर अभिभावकों को अपने बच्चों की देखभाल को पहली प्राथमिकता देनी चाहिए। जिन बच्चों के पिता शराब पीते हैं उन्हें तो तत्काल शराब का सेवन बंद कर देना चाहिए। इस शराब की लत की वजह से भी घर में बच्चों की देखभाल नहीं हो पाती है। शराबी पिता का खामियाजा सबसे ज्यादा बच्चों को भुगतना पड़ता है।
एस.पी.मित्तल) (08-11-17)
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