कुत्ते की यादों पर लिखी डायरी को मीरा पुरस्कार। इससे तो अच्छा होता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के चोटग्रस्त अंगूठों पर पुस्तक लिख कर पुरस्कार ले लिया जाता। क्या राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष दुलाराम सहारण पुरस्कार की एवज में कांग्रेस का टिकट चाहते हैं?

राजस्थान साहित्य अकादमी ने वर्ष 2020-21 का अकादमी का सर्वोच्च मीरा पुरस्कार कुत्ते की यादों पर लिखी पुस्तक प्रिय ओलिव को दिया है। अकादमी की ओर से पुस्तक के लेखक डॉ. आरडी सैनी को 75 हजार रुपए की राशि भी मिलेगी। कुत्ते की यादों पर लिखी पुस्तक को मीरा पुरस्कार दिया जाने पर हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और जनसत्ता अखबार के संपादक रहे ओम थानवी ने कहा कि इस पुस्तक को साहित्यिक रचना नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि यह डेढ़ मा ही डायरी में लिखी बातों का संकलन है। इसे छोटा-मोटा स्कैंडल समझिए। वहीं अकादमी के अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण ने कहा कि मीरा पुरस्कार देने का निर्णय मेरे अकेले का नहीं है। यह निर्णय पूरे निर्णायक मंडल का है। महान तपस्वी मीरा की भक्ति और भगवान कृष्ण के प्रति उनका प्रेम जगजाहिर है। जिन निर्णायकों ने कुत्ते की यादों पर लिखी पुस्तक को अकादमी का सर्वोच्च पुरस्कार दिया है उनसे भक्त मीरा के अध्यात्म को समझने की बात करना बेमानी है, लेकिन निर्णायकों ने साहित्य के प्रति अपनी मानसिकता जरूरी दिखा दी है। आरडी सैनी ने प्रिय ओलिव नाम पुस्तक तब लिखी जब वे अजमेर स्थित राजस्थान लोक सेवा आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष थे। आयोग में रहते हुए ही सैनी का घरेलू कुत्ते की मौत हो गई। सैनी इस कुत्ते को प्यार से ओलिव पुकारते थे। ओलिव से जुड़ी यादों को ही सैनी ने डेढ़ माह तक अपनी डायरी में लिखा। बाद में इसे पुस्तक का स्वरूप दिया। चूंकि आरडी सैनी सरकारी नौकरियां देने वाले आयोग के मुखिया थे, इसलिए पुस्तक का विमोचन भी अजमेर के जवाहर रंगमंच पर भव्य तरीके से हुआ। समारोह में अजमेर और प्रदेश के नामचीन साहित्यकारों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। पुस्तक से ज्यादा सैनी की प्रशंसा की गई, क्योंकि वे प्रभावशाली पद पर बेठे थे। हो सकता है कि आरडी सैनी को अपने घरेलू कुत्ते से बहुत प्यार हो, लेकिन इससे तो अच्छा होता कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के चोटग्रस्त दोनों पैर के अंगूठों पर कोई पुस्तक लिख पुरस्कार प्राप्त कर लिया जाता। खुद सीएम गहलोत ने माना है कि एक साथ दोनों पैर के अंगूठों में फ्रैक्चर होना आश्चर्यजनक है। हैरानी की बात तो यह भी है कि डेढ़ माह गुजर जाने के बाद भी अंगूठे ठीक नहीं हुए हैं। सीएम को अभी भी सार्वजनिक समारोहों में एक स्टूल पर पैर रखकर बैठना होता है। पहले एक साथ दोनों अंगूठों में चोट और फिर डेढ़ माह तक ठीक नहीं होने से जुड़ी बातों पर एक पुस्तक आसानी से लिखी जा सकती है। चूंकि यह पुस्तक सीएम के अंगूठों की चोट पर होगी, इसलिए मीरा पुरस्कार भी आसानी से मिल जाएगा। डॉ. सैनी ने तो प्रिय ओलिव के 96 पेज लिखे, जबकि अंगूठों की चोट वाली पुस्तक के तो 200 पेज लिखे जा सकते हैं। अंगूठों वाली पुस्तक में आईएएस और आरएएस अधिकारियों का सीएम के प्रति सेवा भाव भी लिखा जा सकता है। नि:संदेह अंगूठों वाली पुस्तक प्रिय ओलिव से ज्यादा रुचिकर होगी। हर कोई जानना चाहता है कि दोनों पैर के अंगूठों में एक साथ चोट कैसी लगी? यह पुस्तक भी आरडी सैनी अच्छी तरह लिख सकते हैं। क्योंकि वे सीएम गहलोत के व्यक्तिगत मित्र हैं। 2009 से 2013 के कार्यकाल में ही अशोक गहलोत ने आरडी सैनी को राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य नियुक्ति किया था। सैनी की आज भी गहलोत से अच्छी मित्रता है। इस मित्रता को देखते हुए ही साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण को लगता है कि उन्हें इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का टिकट मिल जाएगा। टिकट की उम्मीद में अकादमी का कोई भी पुरस्कार किसी भी पुस्तक को दिया जा सकता है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (09-08-2023)
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