महबूबा को अब पाकिस्तान और आतंकवादियों की खुलकर आलोचना करनी चाहिए।

महबूबा को अब पाकिस्तान और आतंकवादियों की खुलकर आलोचना करनी चाहिए। सेना पर हमले के बाद एक तरफा सीज फायर बेअसर।

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जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की मांग पर केन्द्र सरकार ने रमजान माह में कश्मीर में सेना का एक तरफा सीज फायर घोषित कर दिया था। यह उम्मीद जताई गई थी कि इबादत वाले रमजान माह में पाकिस्तान और आतंकवादियों की ओर से कोई हिंसा नहीं की जाएगी। लेकिन 18 मई को रमजान माह की शुरुआत होते ही पाकिस्तान की ओर से सीमा पर से गोला बारी शुरू कर दी गई। तथा आतंकियों ने सेना की टुकडी पर हमला कर एक जवान को शहीद कर दिया तथा चार नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया। पाकिस्तान और आतंकियों की इस कार्यवाही से कश्मीर में एक बार फिर सुरक्षा बल और आतंकवादी आमने सामने हो गए हैं। सवाल उठता है कि जब महबूबा मुफ्ती की मांग पर सेना का ऑपरेशन बंद कर दिया गया तो फिर पाकिस्तान और आतंकियों ने हमले क्यों किए? क्या रमजान माह की सीख पर पाकिस्तान और आतंकियों को भरोसा नहीं है। जब भारत के सुरक्षा बल रमजान माह का सम्मान कर सकते हैं ते फिर आतंकी क्यों नहीं? अब महबूबा मुफ्ती को पाकिस्तान और आतंकियों की खुल कर आलोचना करनी चाहिए। कई बार देखा गया है कि महबूबा मुफ्ती पाकिस्तान और आतंकवादियों के साथ खडी नजर आती हैं। महबूबा की सहानुभूति हमेशा उन आतंकवादियों के साथ होती है, जो हमारे सैनिकों को शहीद करते हैं। महबूबा मुफ्ती आतंकियो ंके परिजनों के प्रति तो सहानुभूति दिखाती हैं, लेकिन शहीदों के परिजन को के प्रति नहीं। महबूबा मुफ्ती ने अब स्वयं कश्मीर मंे शांति के प्रयास कर लिए, लेकिन उसका नजीता कुद भी नहीं निकला। ऐसे में महबूबा मुफ्ती को अब सुरक्षा बलों की हौंसला अफजाई करनी चाहिए। ताकि देश द्रोहियों को मुंह तोड़ जवाब दिया जा सके।

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