ब्यावर नगर परिषद की सभापति, पति और जीजा को जेल भेजा।
ब्यावर नगर परिषद की सभापति, पति और जीजा को जेल भेजा।
अब पूरे कार्यकाल की जांच होनी चाहिए।
9 अगस्त को अजमेर स्थित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की विशेष अदालत ने ब्यावर नगर परिषद की भाजपाई सभापति श्रीमती बबीता च ौहान उनके पति नरेन्द्र च ौहान और जीजा शिव प्रसाद को 23 अगस्त तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। अब यह तीनों अजमेर की सेंट्रल जेल में रहेंगे। इसके साथ एसीबी ने तीनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर आगे की जांच की अनुमति के लिए मुख्यालय को रिपोर्ट भेज दी है। इस मामले से जुड़े डीएसपी महिपाल च ौधरी ने बताया कि मुख्यालय से अनुमति मिलने के साथ ही उन 22 फाइलों की भी जांच होगी, जिन्हें 8 अगस्त की छापामार कार्यवाही में बरामद किया गया था। मालूम हो कि 8 अगस्त को एसीबी की टीम ने सभापति बबीता उनके पति नरेन्द्र तथा जीजा शिव प्रसाद को सवा दो लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। यह रिश्वत सभापति अपने ब्यावर स्थित आवास पर डॉ. राजीव जैन से ले रही थी। आवासीय भूखंड को व्यावसायिक भूखंड करने के लिए साढे़ तीन लाख रुपए की मांग की थी। इस मांग पर ही एसीबी ने जाल बिछाकर तीनो ंको गिरफ्तार किया।
हिम्मत की दादः
एसीबी के अधिकारी भी सभापति की हिम्मत को दाद दे रहे हैं। आमतौर पर कोई भी महिला सीधे तौर पर रिश्वत की राशि नहीं लेती हैं। लेकिन बबीता ने न केवल सवा दो लाख रुपए नकद लिए बल्कि रिश्वत भी अपने घर पर वसूली। अनुभवी लोगों का मानना है कि ऐसा तब होता है जब अकेला व्यक्ति रिश्वत को हजम करना चाहता है। बबीता भी नहीं चाहती थी कि इस सवा दो लाख की रिश्वत में कोई बंटवारा हो। इसलिए अपने घर पर पति और जीजा की मौजूदगी में रिश्वत ली जा रही थी। सभापति की इस हिम्मत पर नगर परिषद में भी आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है। हालांकि भूखंड को व्यावसायिक करने में बाबू से लेकर आयुक्त तक की भूमिका होतीे है। अधिकांश कार्मिक उम्मीद लगाए रहते हैं। असल में बबीता को सभापति के तौर पर क्षेत्रीय भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत का राजनीतिक संरक्षण था। इसलिए परिषद के अधिकारी और कर्मचारी भी चुप रहते थे, क्योंकि अपने तबादले का डर रहता था। बबीता के रुतबे का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि निर्दलीय पार्षद गुरुबचन सिंह छाबड़ा से ही कोई 80 लाख रुपाए की दुकान रिश्वत में वसूल की। बबीता ने दुकान की रजिस्ट्री ब्यावर में भाजपा मंडल अध्यक्ष जयकिशन बल्दुआ की निकट रिश्तेदार सविता कांकाणी के नाम कराई। इतना ही नहीं छाबड़ा ने पांच लाख रुपए भी सविता के बैंक खाते में जमा करवाई। बल्दुआ अब स्वयं को पाक साफ सुथरा बता रहे हो, लेकिन ब्यावर के जागरुक लोगों जानते हैं कि भाजपा संगठन और नगर परिषद की सत्ता में कितना घालमेल था। लोगों ने परिषद में भ्रष्टाचार की शिकायत कई बार बल्दुओं को भी की, लेकिन हर बार बल्दुआ ने सभापति को ईमानदार घोषित किया।
पूरे कार्यकाल की जांच होः
हालांकि इस समय राज्य में भाजपा की सरकार है, इसलिए यह कहना मुश्किल है कि भ्रष्टाचार के कितने मामलों की जांच संभव होगी। वहीं ब्यावर के जागरुक लोग चाहते हैं कि बबीता के सम्पूर्ण कार्यकाल की जांच होनी चाहिए। यदि बबीता के पूरे कार्यकाल की जांच हुई तो कई राजनीतिक चेहरे बेनकाब हो जाएंगे।
कन्नौजिया विरोध में शामिल नहींः
9 अगस्त को छापामार कार्यवाही के बाद शिकायतकर्ता डॉ. राजीव जैन के अस्पताल के बाहर जो विरोध हुआ उसमें पार्षद नरेन्द्र कन्नोजिया शामिल नहीं थे। कन्नोजिया का कहना रहा कि वह अपने परिजन की बीमारी की वजह से व्यस्त है। दो दिन पहले ही अहमदाबाद से लौटे हैं; उन्होंने कहा कि इस मामले में एसीबी को निष्पक्ष जांच करनी चाहिए। मैं किसी भी प्रकार के विरोध में शामिल नहीं हंू।