काश! ऐसी मानव श्रृखंला कश्मीर की सीमा पर बनाई जाती।

काश! ऐसी मानव श्रृखंला कश्मीर की सीमा पर बनाई जाती।


राजस्थान वाली पाकिस्तान की सीमा पर 14 अगस्त को जुटेंगे पांच लाख भारतीय।
शहादत को सलाम कार्यक्रम के अंतर्गत पांच लाख भारतीय 14 अगस्त को प्रातः 11 बजे पाकिस्तान की सात सौ किलोमीटर लम्बी सीमा पर मानव श्रृंखला बनाएगे। यह मानाव श्रृंखला श्रीगंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर और बाड़मेर जिलों में बनाई जाएगी। निसंदेह यह प्रयास शहीदों के सम्मान में अच्छा है। इससे शहीदों के परिवारों को भी सम्मान मिलेगा। लेकिन अच्छा होता कि ऐसी मानव श्रृंखला कश्मीर की पाकिस्तान सीमा पर बनाई जाती। आज सबसे ज्यादा घुसपैठ और हमले पाकिस्तान कश्मीर की सीमा से ही करवा रहा है। राजस्थान वाली सीमा तो बेहद शांत है और पाकिस्तान ने कभी भी इस सीमा से हमला करने की कोशिश नहीं की। न ही इस सीमा से घुसपैठिए भारत में आ रहे हैं। जो कुछ भी हो रहा है, वो सब कश्मीर की सीमा पर ही हो रहा है। पाकिस्तान से आए घुसपैठिए ही कश्मीर में खुलेआम पाकिस्तानी झंडे लहराहते है। गंभीर बात तो ये है कि कश्मीर के अंदर ही हमारे सुरक्षा बलों पर आतंकी हमले किए जाते हैं। आज कश्मीर घाटी में ड्यूटी देना सुरक्षा बलांे के लिए भी मुश्किल हो रहा है। हमारे अधिकांश जवान इसी सीमा पर शहीद हो रहे हैं। आज जरुरत कश्मीर में शहादत को सम्मान देने की है। कश्मीर में भी देश भक्ति का ऐसा जजबा उत्पन्न किया जाए, ताकि पांच लाख भारतीय मानव श्रृंखला बनाकर हमारे सैनिकों की हौंसला अफजाई कर सके। हालांकि देश की किसी भी सीमा पर ड्यूटी देने वाला जवान सम्मान का हकदार होता है। इस लिहाज से राजस्थान वाली पाकिस्तान सीमा पर भी श्रृंखला बनाना अच्छी बात है, लेकिन ज्यादा आवश्यकता हमें कश्मीर में मानव श्रृंखला बनाने की है। यदि पांच लाख लोगों की मानव श्रृंखला कश्मीर की सीमा पर बनाई जाती है, तो उन अलगाववादियों को भी जबवा मिलेगा, जो हमारे सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकते हैं। जो लोग राजस्थान वाली सीमा पर मानव श्रृंखला बनवा रहे हैं, उनका अब ये दायित्व है कि वे कश्मीर की सीमा पर भी ऐसी ही मानव श्रृंखला बनवाएं।

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