इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में नवजोत सिंह सिद्धू का पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल बाजवा से गले मिलना कितना उचित। इस्लामिक राष्ट्र को और मजबूत करेंगे इमरान खान।
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18 अगस्त को इमरान खान ने पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली। इमरान जब इस्लामाबाद में शपथ ले रहे थे तभी पाक सेना प्रमुख जनरल बाजवा के निर्देश पर कश्मीर सीमा पर पाकिस्तान की सेना भारत पर गोला बारी कर रही थी। साफ संकेत था कि इमरान के शासन में भी भारत पर हमले जारी रहेंगे। लेकिन वहीं समारोह में हमारे पंजाब प्रांत के मंत्री और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू पाक सेना प्रमुख बाजवा से गर्मजोशी के साथ गले मिले। दोनों के बीच विचारों का आदान-प्रदान भी हुआ। पंजाब में इस समय कांग्रेस की सरकार है, लेकिन सिद्धू कांग्रेस नेता के तौर पर शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए और न ही सिद्धू को भारत सरकार ने अपना प्रतिनिधि बना कर भेजा। चूंकि इमरान खान पूर्व में पाक टीम के कप्तान रहे हैं। इस नाते इमरान ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया था और सिद्धू भी व्यक्तिगत रिश्ते निभाने के लिए पाकिस्तान चले गए। अब इसका सिद्धू को राजनीति में कितना लाभ होगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन जरनल बाजवा से गले मिलने को लेकर अब भारत में सिद्धू की आलोचना भी हो रही है। हमारे देश में जो लोग पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति रखते हैं उन्हें बाजवा से गले मिलने पर कोई ऐतराज नहीं होगा, लेकिन हम सब जानते हैं कि बाजवा की सोच भारत के प्रति कितनी नकारात्मक है। जिस बाजवा के इशारे पर हमारे कश्मीर को अशांत बना रखा हो तथा आए दिन सीमा पर हमारे जवान शहीद हो रहे हो, उस बाजवा से दोस्ती करना कितना उचित होगा, इसे खुद सिद्धू को समझना होगा। बाजवा से गले मिल कर सिद्धू पाकिस्तान में तो हीरों बन जाएंगे, लेकिन भारत में नहीं। जिस प्रकार सिद्धू को निमंत्रण मिला, उसी प्रकार भारतीय क्रिकेटर कपिल देव और सुनील गावस्कर को भी इमरान ने शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया था, लेकिन ये दोनों ही क्रिकेटर पाकिस्तान नहीं गए। सिद्धू के पाकिस्तान जाने के उतावलेपन को भी समझना होगा। भारत पहले ही कह चुका है कि जब तक सीमा पार से गोली बारी नहीं रुकेगी तब तक कोई बात नहीं होगी। आज सिद्धू स्वयं देख रहे हैं कि हमारे कश्मीर के हालात कैसे हो गए हैं। अंदर से ही सुरक्षा बलों पर हमले हो रहे हैं। स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस पर भी राष्ट्रीय ध्वज फहराना मुश्किल हो रहा है। पाकिस्तान में खुलेआम कश्मीर की आजादी की वकालत करता है। क्या ऐसे देश के सेना प्रमुख से सिद्धू को व्यक्तिगत स्तर पर गले मिलना चाहिए? जबकि इमरान खान ने पाकिस्तान को इस्लामिक राष्ट्र के तौर पर और मजबूत करने की शपथ ली।